कालाष्टमी: पूजा विधि और महत्व

भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा
आज, रविवार को, आश्विन माह की कालाष्टमी मनाई जा रही है। यह पर्व हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व है। भक्त इस दिन व्रत रखकर विशेष कार्यों में सफलता की कामना करते हैं।
शुभ योग और दान का महत्व
कालाष्टमी पर शिववास योग सहित कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है। आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण है। इस दिन दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
पूजा का शुभ समय
अष्टमी तिथि 14 सितंबर 2025 को सुबह 5:04 बजे प्रारंभ होगी और 15 सितंबर को रात 3:06 बजे समाप्त होगी। मध्य रात्रि का निशिता मुहूर्त, जो 11:53 बजे से 12:40 बजे तक है, पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
कालाष्टमी की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- दीपक जलाकर काल भैरव की पूजा करें।
- आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
- फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- प्रभु से सुख-शांति की प्रार्थना करें।
- गरीबों में अन्न और धन का दान करें।
महादेव को प्रसन्न करने के उपाय
यदि आप वास्तु दोष का सामना कर रहे हैं, तो कालाष्टमी के दिन घर में डमरू लाएं और पूजा के समय इसे बजाएं। ऐसा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और वास्तु दोष दूर होता है।
भैरव देव मंत्र
- ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।
- ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।
- ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।
- ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।
- ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष।