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काली चौदस, हनुमान पूजा और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व

19 अक्टूबर को काली चौदस, हनुमान पूजा और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए विशेष उपाय करते हैं। जानें इन पर्वों की पूजा विधियों और उनके धार्मिक महत्व के बारे में।
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काली चौदस, हनुमान पूजा और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व

काली चौदस और पूजा का महत्व

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार, 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा। इस दिन काली चौदस, हनुमान पूजा और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है।


द्रिक पंचांग के अनुसार

द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार को सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि का समय 18 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे से शुरू होकर 19 अक्टूबर को 1:51 बजे तक रहेगा, जिसके अनुसार चतुर्दशी मनाई जाएगी।


काली चौदस का महत्व

काली चौदस का उल्लेख गरुड़ पुराण में मिलता है, जिसमें यमराज के लिए दीपदान करने का विधान है। यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात में दीवाली उत्सव के दौरान मनाया जाता है। इसे चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है, जब मध्यरात्रि में चतुर्दशी प्रचलित होती है। इस दिन मां काली और वीर वेताल की पूजा विशेष रूप से श्मशान में की जाती है।


विशेष उपाय और पूजा विधि

इस दिन भक्त नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए विशेष उपाय करते हैं। एक पीले कपड़े में हल्दी, 11 गोमती चक्र, चांदी का सिक्का और 11 कौड़ियां बांधकर 'श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें और इसे तिजोरी में रखें। इससे व्यवसाय में बाधाएं दूर होती हैं। मां काली को लौंग का जोड़ा अर्पित करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।


हनुमान पूजा का महत्व

इस दिन हनुमान पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि दीवाली से एक दिन पहले हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। इससे बुरी आत्माओं से रक्षा होती है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर में इस दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है।


मासिक शिवरात्रि का महत्व

मासिक शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। इस दिन शिवलिंग का दूध, दही, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।