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कुंडली में ग्रह दोष: विवाह में कलह और अलगाव के संकेत

कई बार शादीशुदा जीवन में अचानक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जिससे पति-पत्नी के बीच मनमुटाव और कलह शुरू हो जाती है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में ग्रह दोष इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इस लेख में हम उन ग्रहों और योगों के बारे में चर्चा करेंगे, जो वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ पैदा कर सकते हैं। जानें कैसे सप्तम भाव और अन्य ग्रहों की स्थिति विवाह में समस्याएँ ला सकती हैं और क्या उपाय किए जा सकते हैं।
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कुंडली में ग्रह दोष: विवाह में कलह और अलगाव के संकेत

विवाह में समस्याओं का कारण

कई बार खुशहाल शादीशुदा जीवन में अचानक ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं कि एक स्थिर परिवार बिखरने लगता है। जो लोग एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे, उनके बीच नकारात्मकता आ जाती है और मनमुटाव शुरू हो जाता है। जब तक स्थिति को समझा जाता है, तब तक हालात और भी बिगड़ सकते हैं। कभी-कभी तो पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए दुश्मन बन जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में ग्रह दोष इस तरह की समस्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कुंडली में 12 भाव, 12 राशियाँ और 27 नक्षत्र होते हैं, जिनके आधार पर जीवन की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इस लेख में हम उन योगों के बारे में चर्चा करेंगे, जिनसे पति-पत्नी के बीच दुश्मनी उत्पन्न हो सकती है।


सप्तम भाव: विवाह का भाव

विवाह को जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, और कुंडली का सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है। यह भाव वैवाहिक जीवन और जीवनसाथी के बारे में जानकारी देता है। वहीं, कुंडली का पाँचवां भाव आपसी प्रेम को दर्शाता है। सप्तम भाव का स्वामी शुक्र ग्रह है और इसकी राशि तुला है। यदि इस भाव में शुभ ग्रह होते हैं, तो विवाह में कोई समस्या नहीं आती और पति-पत्नी के बीच संबंध मजबूत रहते हैं। लेकिन यदि अशुभ ग्रह यहाँ उपस्थित होते हैं, तो विवाह में कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो तलाक तक पहुँच सकती हैं।


वैवाहिक जीवन में समस्याएँ

लड़की की कुंडली में पति का कारक सप्तम भाव और शुक्र ग्रह होते हैं, जबकि लड़के की कुंडली में पत्नी का कारक ग्रह सप्तम भाव से संबंधित होता है। यदि इस भाव में पाप ग्रह या क्रूर ग्रह उपस्थित होते हैं, तो विवाह में समस्याएँ आ सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि सप्तम भाव में शनि बैठ जाए और उसकी दृष्टि कर्क लग्न पर पड़े, तो यह शुभ नहीं माना जाता। इसी तरह, यदि सप्तम भाव में राहु या मंगल हो, तो भी वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।


कुंडली में कलह की स्थिति

यदि सप्तमेश 6वें, 8वें या 12वें घर में स्थित हों या फिर सप्तमेश पंचम भाव में हों, तो पति-पत्नी के बीच कलह शुरू हो जाती है। कुंडली के सप्तम भाव में शनि, राहु-केतु और मंगल जैसे क्रूर ग्रह हों या सूर्य की दृष्टि हो, तो भी कलह की स्थिति उत्पन्न होती है।


अलगाव की स्थिति

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में शुक्र एक से अधिक विवाह के कारक माने जाते हैं। यदि सप्तम और अष्टम के स्वामी कमजोर होकर केंद्र में आ जाएं या लड़की की कुंडली में सप्तम और सप्तमेश का संबंध राहु, सूर्य और मंगल से हो जाए, तो ऐसी स्थिति में महिला को पति से अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में और अष्टम भाव का स्वामी सप्तम भाव में बैठ जाए, तो महिला के पति की मृत्यु विवाह के कुछ महीनों में होने की आशंका होती है।