कृष्ण जन्माष्टमी 2025: मंत्र जाप के लाभ और विधि

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
इस वर्ष, 15 अगस्त 2025 को मनाई जाने वाली कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व है, जो भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। इस पावन अवसर पर, कान्हा की कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्र जाप का विशेष महत्व है। सही मंत्रों का जाप, विशेष रूप से जन्माष्टमी की मध्य रात्रि में, आपकी इच्छाओं को पूरा कर सकता है और आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति ला सकता है।जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। मध्य रात्रि में जब कृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय मंत्र जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न केवल ग्रह दोषों को शांत करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
श्री कृष्ण के शक्तिशाली मंत्र और उनके लाभ
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" (Om Namo Bhagavate Vasudevaya) - यह भगवान विष्णु का सबसे शक्तिशाली मंत्र है। इसके जाप से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं, मन को शांति मिलती है, और जीवन में सकारात्मकता आती है। यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
"ॐ श्री कृष्णाय नमः" (Om Shri Krishnaya Namah) - यह सरल मंत्र भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इसके नियमित जाप से कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, प्रेम बढ़ता है, रिश्तों में मधुरता आती है और जीवन में आनंद का अनुभव होता है।
"हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।" - यह प्रसिद्ध हरे कृष्ण महामंत्र है, जिसे कलयुग का सबसे प्रभावी मंत्र माना जाता है। इसके जाप से मन शुद्ध होता है, आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है, और भगवान कृष्ण के प्रति अटूट भक्ति भाव उत्पन्न होता है।
"ॐ क्लीं कृष्णाय गोविदंाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा" (Om Klim Krishnaya Govindaya Gopi-jana-vallabhaya Swaha) - यह कामदेव गायत्री मंत्र के समान है, जो आकर्षण, यश और प्रेम को बढ़ाता है। इस मंत्र के जाप से आत्मविश्वास बढ़ता है और प्रेम संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलती है।
"ॐ देवकीनन्दनाय नमः" (Om Devakinandanaya Namah) - यह मंत्र संतान सुख की इच्छा रखने वालों के लिए विशेष रूप से फलदायी है। इसके जाप से संतान संबंधी बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें स्वस्थ व दीर्घायु जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
जन्माष्टमी पर मंत्र जाप का सही तरीका
शुद्धता: मंत्र जाप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
आसन: कुश या ऊन के आसन का प्रयोग करें।
माला: रुद्राक्ष या तुलसी की माला का प्रयोग करें।
समय: जन्माष्टमी की मध्य रात्रि (लगभग 12 बजे) या ब्रह्म मुहूर्त में जाप करना सबसे उत्तम है।
भावना: पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से मंत्र का जाप करें।