कृष्ण जन्माष्टमी 2025: व्रत के लिए 14 महत्वपूर्ण नियम

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 का महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 व्रत नियम: हर साल देशभर में धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रमास माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन को विशेष रूप से मनाने की परंपरा है। वर्ष 2025 में, कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 15 अगस्त को रखा जाएगा, जबकि इस्कॉन जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने वाले भक्तों को लड्डू गोपाल की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
जन्माष्टमी व्रत के नियम
हालांकि जन्माष्टमी के व्रत के दौरान कई नियमों का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा पुण्य की प्राप्ति नहीं होती। यहां हम आपको शास्त्रों में बताए गए 14 महत्वपूर्ण नियमों के बारे में बता रहे हैं, जिनका पालन हर व्रती को करना चाहिए। यदि कोई व्रत नहीं रख पाता है, तो भी इन नियमों का पालन करना लाभकारी होगा।
- अष्टमी तिथि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- व्रत के दौरान दिन में सोने से बचें।
- जन्माष्टमी के व्रत में अन्न और नमक का सेवन वर्जित है। तामसिक भोजन और मांस-मदिरा का सेवन न करें।
- फल, दूध, दही, कुट्टू के आटे की रोटी, साबूदाना, शकरकंद, मखाने, नारियल पानी और ड्राई फ्रूट्स का सेवन कर सकते हैं।
- व्रत का पारण रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के बाद किया जाता है। इसलिए सूर्योदय तक व्रत का पालन करें।
जन्माष्टमी पूजा के शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी के दिन सुबह-शाम भगवान कृष्ण की पूजा करना शुभ होता है। पूजा के दौरान भगवान को भोग लगाकर उसी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- व्रत के दौरान गुस्सा न करें और नकारात्मकता से दूर रहें।
- व्रत के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी काटना अशुभ माना जाता है।
- पारण से पहले दान या गौ सेवा अवश्य करें।
- काले रंग के कपड़े न पहनें और न ही काले रंग की वस्तुओं का उपयोग करें।
- पारण के बाद घर के बुजुर्गों और गुरु का आशीर्वाद लें।
- महिलाएं खुले बालों में पूजा न करें।
- पूजा करते समय सिर ढकना चाहिए।