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केदारनाथ: महादेव का अद्भुत ज्योतिर्लिंग और इसकी पौराणिक कथा

केदारनाथ, जो हिमालय की गोद में बसा है, महादेव का एक अद्भुत ज्योतिर्लिंग है। इसे चार धामों में से एक माना जाता है और इसका निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था। यहां भगवान शिव का एक अंश विद्यमान है और इसे पंच केदार के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर का अद्भुत इतिहास और धार्मिक महत्व है, जिसमें मोक्ष की प्राप्ति की मान्यता भी शामिल है। जानें इस पवित्र स्थल की विशेषताएं और यात्रा के बारे में।
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केदारनाथ: महादेव का अद्भुत ज्योतिर्लिंग और इसकी पौराणिक कथा

केदारनाथ का ऐतिहासिक महत्व

नई दिल्ली: केदारनाथ, जो हिमालय की गोद में बसा है, चार धामों और पंच केदारों में से एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसे 'केदार खंड' के नाम से भी जाना जाता है, जहां बाबा केदार का वास है। इस 80 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा महाभारत काल के बाद किया गया था।


भगवान शिव का अद्वितीय स्वरूप

यहां भगवान शिव का एक अंश विद्यमान है। केदारनाथ में भगवान का कूबड़, तुंगनाथ में भुजाएं, रुद्रनाथ में मुख, मदमहेश्वर में नाभि और कल्पेश्वर में सिर प्रकट हुए हैं। इन चार मंदिरों के साथ केदारनाथ को पंच केदार के रूप में पूजा जाता है। दर्शन के साथ-साथ नेपाल के काठमांडू में भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन की भी सलाह दी जाती है।


मंदिर का अद्भुत इतिहास

केदारनाथ मंदिर के भीतर एक शंक्वाकार चट्टान है, जिसे भगवान शिव के सदाशिव रूप में पूजा जाता है। इस धाम का इतिहास भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण, पांडवों और आदि गुरु शंकराचार्य से जुड़ा हुआ है। शिवपुराण में उल्लेख है कि नर-नारायण ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा की, जिससे भगवान शिव यहां प्रकट हुए।


ज्योतिर्लिंग की विशेषताएं

यह महादेव का पांचवां ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और इसे अर्द्धज्योतिर्लिंग कहा जाता है। मान्यता है कि यह पशुपतिनाथ मंदिर के साथ मिलकर पूर्ण होता है। यह मंदिर 6 महीने तक खुला रहता है, और जब यह बंद होता है, तो यहां एक अखंड दीपक जलाया जाता है, जो 6 महीने बाद भी जलता रहता है।


धार्मिक महत्व और मान्यताएं

बाबा केदार के स्थान पर मंदाकिनी नदी का उद्गम है। केदारनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह 400 वर्षों तक बर्फ के नीचे दबा रहा। काशी केदार महात्म्य में कहा गया है कि यहां दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन करता है और वहां के कुंड का जलपान करता है, वह जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।


विशेष कुंड और यात्रा

कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर के पास एक रेतस नाम का कुंड है, जहां ओम नमः शिवाय बोलने पर पानी में बुलबुले उठते हैं। इस कुंड का पानी पीने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यात्रा की शुरुआत गौरी कुंड से होती है, जिसका पानी हमेशा गर्म रहता है। पुराणों के अनुसार, जब मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तब देवता महादेव की पूजा करते हैं।


आध्यात्मिक स्थल

केदारनाथ मंदिर के पीछे शंकराचार्य की समाधि है, जो उनके अंतिम विश्राम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसके निकट भैरव नाथ मंदिर है, जिसके दर्शन के बिना केदारनाथ के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। यहां से ट्रैकिंग करके आप उस स्थान तक पहुंच सकते हैं, जहां भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था।