गंगा दशहरा 2025: पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करें ये उपाय
गंगा दशहरा 2025 का पर्व 5 जून को मनाया जाएगा, जो देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है। इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व है। जानें गंगा दशहरा की रात करने योग्य तीन प्रभावशाली उपाय, जो पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं। इसके अलावा, जानें इस पर्व के विशेष मुहूर्त भी।
Jun 5, 2025, 10:11 IST
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गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा 2025: सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए गंगा दशहरा का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, जो देवी गंगा को समर्पित है। इस वर्ष, यह उत्सव 5 जून 2025 को मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। यह दिन गंगा स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, कुछ विशेष उपाय करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
गंगा दशहरा के प्रभावशाली उपाय
आज हम आपको तीन प्रभावशाली उपाय बताएंगे, जिन्हें गंगा दशहरा की रात करना लाभकारी हो सकता है। ये उपाय पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी किए जा सकते हैं।
- गंगा दशहरा की रात एक साफ तांबे का बर्तन लें। उसमें गंगाजल, जौ, काले तिल और अक्षत डालें। बर्तन को मंदिर में दक्षिण दिशा की ओर रखें और उसी दिशा में मुख करके पूजा करें। फिर किसी पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें। तर्पण करते समय अपने पितरों को याद करें और अपनी गलतियों के लिए माफी मांगें। इससे आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
- पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसके पास घी का दीपक जलाएं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करें। इससे आपके पितृ प्रसन्न होंगे और आपको धन-वंश वृद्धि का आशीर्वाद देंगे।
- किसी पवित्र नदी के तट पर तिल के तेल का दीपक जलाएं और पितरों से माफी मांगें। इस उपाय से आपको पितरों का आशीर्वाद मिलेगा और मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है।
गंगा दशहरा के विशेष मुहूर्त
- विजय मुहूर्त- दोपहर 2:39 से 3:34 तक
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:52 से 12:48 तक
- अमृत काल- रात 11:49 से अगले दिन सुबह 1:37 तक