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गया में आत्म पिंडदान: पितृपक्ष के दौरान विशेष धार्मिक अनुष्ठान

गया में पितृपक्ष के दौरान आत्म पिंडदान का विशेष महत्व है। यह धार्मिक अनुष्ठान 7 से 21 सितंबर तक होता है, जहां लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। गया का जनार्दन वेदी मंदिर इस प्रक्रिया का केंद्र है, जहां लोग अपने लिए भी पिंडदान कर सकते हैं। जानें कौन लोग इस अनुष्ठान का हिस्सा बन सकते हैं और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है।
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गया में आत्म पिंडदान: पितृपक्ष के दौरान विशेष धार्मिक अनुष्ठान

पितृपक्ष का महत्व

इस वर्ष पितृपक्ष का आयोजन 7 सितंबर से 21 सितंबर तक होगा। यह भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है, जो कुल 15 दिनों का होता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों, जैसे मृतक माता-पिता और दादा-दादी की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह ज्ञात है कि पिंडदान हमेशा मृतक के बाद अगली पीढ़ी के वंशज द्वारा किया जाता है। गया इस कार्य के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थान है, जहां लोग दूर-दूर से आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य करने आते हैं। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लोग यहां अपने लिए भी पिंडदान करने आते हैं।


गया में आत्म पिंडदान का मंदिर

यहां श्राद्ध करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गया में फल्गु नदी के किनारे भगवान राम ने अपने भाइयों के साथ राजा दशरथ का पिंडदान किया था, जिससे उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष मिला। इसलिए, यहां लोग पिंडदान के लिए आते हैं। गया में एक अनोखा जनार्दन वेदी मंदिर है, जहां लोग अपने लिए श्राद्ध करते हैं।


खुद का पिंडदान करने की प्रक्रिया

गया में 54 पिंड वेदी और 53 अन्य स्थान हैं जहां पितरों का पिंडदान किया जाता है। हालांकि, जनार्दन मंदिर की वेदी एकमात्र ऐसी जगह है जहां आत्मश्राद्ध किया जा सकता है। यहां लोग अपने लिए पिंडदान कर सकते हैं। यह वेदी गया के भस्मकूट पर्वत पर माता मंगला गौरी मंदिर के उत्तर में स्थित है, जहां भगवान विष्णु जनार्दन स्वामी के रूप में पिंड ग्रहण करते हैं।


कौन कर सकता है खुद का श्राद्ध

वे लोग जिनके परिवार में कोई नहीं बचा है, जिनका श्राद्ध करने के लिए कोई संतान नहीं है, वे इस स्थान पर खुद का पिंडदान करा सकते हैं। इसके अलावा, गृहस्थ जीवन त्याग चुके वैरागी भी यहां पिंडदान कराने आते हैं।