गरबा आयोजनों में हिंदू पहचान को सुनिश्चित करने के लिए विहिप के नए दिशा-निर्देश

गरबा आयोजनों में प्रवेश के लिए नए नियम
विश्व हिंदू परिषद ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए हैं कि गरबा आयोजनों में केवल हिंदू समुदाय के लोगों को ही प्रवेश मिले। इसके लिए, आयोजनों में शामिल होने वाले व्यक्तियों को पहले तिलक लगाना, रक्षा सूत्र बांधना और हिंदू देवताओं की पूजा करनी होगी। विहिप के विदर्भ महासचिव प्रशांत तित्रे ने नागपुर में शनिवार को बताया कि उपस्थित लोगों पर 'गौमूत्र' भी छिड़का जाएगा। उन्होंने कहा कि विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ता नवरात्रि समारोह के दौरान इन दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए गरबा पंडालों की निगरानी करेंगे। यह समारोह रविवार से शुरू होकर एक अक्टूबर तक चलेगा।
लव जिहाद का मुद्दा और विहिप का रुख
विहिप ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन आयोजनों में केवल हिंदू ही शामिल हों और लव जिहाद का कोई मामला न हो। यह मुद्दा हर साल नवरात्रि से पहले उठाया जाता है, जिसमें कुछ दक्षिणपंथी संगठन मुस्लिम पुरुषों द्वारा हिंदू लड़कियों और महिलाओं के धर्मांतरण के प्रयास का आरोप लगाते हैं।
गरबा का महत्व
'गरबा महज एक नृत्य नहीं'
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने कहा, "गरबा केवल एक नृत्य नहीं है, बल्कि देवी को प्रसन्न करने का एक अनुष्ठान है। इसमें भाग लेने के लिए केवल उन्हीं लोगों को अनुमति दी जानी चाहिए, जो इन अनुष्ठानों में विश्वास रखते हैं।" विपक्ष ने विहिप और संघ पर समाज में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया है, जबकि महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि आयोजक यह तय कर सकते हैं कि कौन शामिल होगा।
विवाद का कारण
क्यों हो रहा विवाद?
कांग्रेस ने भाजपा से जुड़े संगठनों पर आरोप लगाया है कि वे सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा, "वे हमें और बांटना चाहते हैं और धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। विहिप का यह रुख नया नहीं है। उनका उद्देश्य देश को अस्थिर करना है। विविधता में एकता महाराष्ट्र की ताकत है, इसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए।"