गरुड़ पुराण में निर्दोष हत्या का दंड: जानें नरकों का विवरण

गरुड़ पुराण: पाप और नरक का वर्णन
गरुड़ पुराण: इस प्राचीन ग्रंथ में विभिन्न पापों के लिए अलग-अलग नरकों का उल्लेख किया गया है, जिसमें यातनाओं, दंड और विभिन्न नरक लोकों का विवरण है। गरुड़ पुराण के अनुसार, किसी व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क में स्थान मिलता है, और बुरे कर्म करने वालों को नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं। इस पुराण में कुल 36 नरकों का वर्णन किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग प्रकार के दंड निर्धारित हैं।
निर्दोष व्यक्ति की हत्या पर गरुड़ पुराण का दृष्टिकोण
आइए जानते हैं कि गरुड़ पुराण में निर्दोष व्यक्ति की हत्या करने पर क्या दंड दिया गया है। इस पुराण में निर्दोष प्राणियों की हत्या को एक बड़ा पाप माना गया है और इसके लिए कठोर दंड निर्धारित किया गया है। हत्या करने वाले व्यक्ति को गर्म तेल में डालकर भूनने की सजा दी जाती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, निर्दोष व्यक्ति की हत्या करने पर आत्मा को कई नरकों में भेजा जाता है। इनमें प्रमुख नरक हैं: रौरव, कुंभीपाक, ताल और अवीचि। ब्राह्मण की हत्या करने पर आत्मा को कुंभीपाक नर्क में भेजा जाता है, जहां उसे जलती रेत में फेंका जाता है। वहीं, क्षत्रिय या वैश्य की हत्या करने पर आत्मा को ताल नर्क में भेजा जाता है।
- कुंभीपाक: इस नर्क में आत्मा को गर्म तेल में उबाला जाता है। यह उन लोगों के लिए है जिन्होंने किसी की संपत्ति हड़पी या ब्राह्मण की हत्या की।
- रौरव: इस नर्क में झूठी गवाही देने पर आत्मा को गन्ने की तरह कुचला जाता है।
- ताल: इस नर्क में क्षत्रिय और वैश्य की हत्या करने वालों को डाला जाता है।
- अवीचि: इसे सबसे कठोर नर्क माना जाता है। झूठ बोलने वाले, झूठी कसम खाने वाले और झूठी गवाही देने वाले लोगों को यहां भेजा जाता है।
- गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा यमराज के दरबार में जाती है, जहां हर पाप के लिए सजा का प्रावधान है। हर आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार दंड मिलता है।