गायत्री जयंती: महत्व और पूजा विधि

गायत्री जयंती का महत्व
नई दिल्ली। सनातन धर्म में गायत्री जयंती का विशेष महत्व है। यह दिन वेदमाता गायत्री को समर्पित होता है और मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। गायत्री जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है। इस वर्ष, गायत्री जयंती 6 जून 2025 को मनाई जाएगी, जो माता गायत्री के प्रकटोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
गायत्री जयंती की पूजा विधि
गायत्री जयंती का महत्व
धार्मिक दृष्टि से गायत्री जयंती का महत्व अत्यधिक है। इस दिन वेदमाता गायत्री की उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गायत्री माता ने चारों वेदों की रचना की थी। इस दिन विशेष रूप से गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है, जिससे जीवन में शांति का अनुभव होता है। पूजा से मानसिक शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। गायत्री जयंती के अवसर पर चार वेदों का पाठ भी किया जाता है।
गायत्री जयंती की पूजा विधि
गायत्री जयंती की पूजा विधि
गायत्री जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन वेदमाता गायत्री की पूजा के लिए प्रतिमा स्थापित करें और उसे गंगाजल से स्नान कराएं। फिर तिलक करें और माता को फल, फूल, दीपक और धूप अर्पित करें। इसके बाद गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें और आरती उतारें। आरती के बाद मिठाई या पंचामृत का भोग लगाएं।
इन उपायों को अपनाएं
इन उपायों को अपनाएं
गायत्री मंत्र का जाप मानसिक शांति लाने में सहायक होता है और बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम करता है। गायत्री जयंती के दिन मंत्र का जाप करें। एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें और इस जल को पूरे घर में छिड़कें। बचे हुए जल को पौधों में डालें। एक भोजपत्र पर लाल स्याही से गायत्री मंत्र लिखकर उसे पीले कपड़े में बांधकर बच्चे को गले में पहनाएं।