गीता जयंती 2025: जानें तिथि और महत्व
गीता जयंती की तिथि और महत्व
गीता जयंती तिथि मोक्षदा एकादशी: गीता जयंती 2025 में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाएगी, जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया था। इसलिए, यह दिन गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भगवद्गीता का अवतरण हुआ। कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वह आज भी जीवन की कठिनाइयों का समाधान प्रस्तुत करता है। आइए जानते हैं कि 2025 में गीता जयंती कब है?
गीता जयंती 2025 की तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है। यह वर्ष 1 दिसंबर 2025 को आएगी। एकादशी 30 नवंबर को शाम 9:29 बजे से शुरू होकर 1 दिसंबर को रात 10:47 बजे तक रहेगी।
व्रत रखने वाले लोग सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके गीता का पाठ आरंभ करते हैं। पूजा का सर्वोत्तम समय सुबह 6 से 10 बजे के बीच होता है। घर पर पूजा करते समय श्रीकृष्ण की मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें, तुलसी पत्र चढ़ाएं और गीता का पाठ करें।
गीता जयंती का महत्व
गीता जयंती के दिन, श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सभी संदेहों को दूर करते हुए कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग का सार समझाया। यह ग्रंथ केवल युद्ध के लिए नहीं, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेने का मार्गदर्शन करता है। मोक्षदा एकादशी के कारण गीता का पाठ करने से पाप समाप्त होते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
700 श्लोकों में गीता का उपदेश
महाभारत के युद्ध के पहले दिन, अर्जुन ने अपने भाइयों और गुरुओं के खिलाफ युद्ध करने से मना कर दिया था। उनके मन में मोह और दुख था। तब भगवान कृष्ण ने रथ पर सारथी बनकर 700 श्लोकों में गीता का उपदेश दिया। गीता में कुल 18 अध्याय हैं।
गीता जयंती 2025 कैसे मनाएं?
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फलाहार या निर्जला व्रत का संकल्प लें। घर या मंदिर में भगवद्गीता का सामूहिक पाठ करें। कम से कम 12 अध्याय पढ़ें। श्रीकृष्ण की मूर्ति को तुलसी पत्र, दूध और पान चढ़ाएं। आरती के बाद प्रसाद बांटें।
