गुप्त नवरात्रि: देवी दुर्गा की आराधना का विशेष पर्व
गुप्त नवरात्रि का महत्व
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष स्थान है। इस दौरान देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है, जिनमें चैत्र, शारदीय और दो गुप्त नवरात्रि शामिल हैं। तंत्र साधना में रुचि रखने वालों के लिए गुप्त नवरात्रि का महत्व अत्यधिक है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, इस वर्ष आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि 26 जून से शुरू होकर 4 जुलाई तक चलेगी। जब नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ होती है, तो मां पालकी में सवार होकर आती हैं, जिससे तेज बारिश की संभावना बनती है। भक्तगण इस दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं और निराहार या फलाहार करते हैं।
नवरात्रि का पावन पर्व
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि का यह पर्व आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। साल में चार नवरात्रि होती हैं, जिनमें से दो चैत्र और शारदीय हैं, जबकि दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। आषाढ़ माह में आने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुम्रावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं।
गुप्त नवरात्रि की तिथियाँ
गुप्त नवरात्रि का आरंभ 26 जून 2025 को होगा, जिसमें प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। इसके बाद क्रमशः मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी।
घट स्थापना का महत्व
घट स्थापना का कार्य प्रतिपदा तिथि पर किया जाता है, जो नवरात्रि के अनुष्ठान की शुरुआत होती है। इस वर्ष घट स्थापना का शुभ मुहूर्त मिथुन लग्न में है।
शुभ योग और उपाय
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन ध्रुव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इन योगों में मां दुर्गा की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं। पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि के व्रत नियम
गुप्त नवरात्रि में मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। भक्तों को नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए और न ही चमड़े के सामान का उपयोग करना चाहिए।
पूजा सामग्री और विधि
पूजा के लिए मां दुर्गा की प्रतिमा, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप, लाल पुष्प, और अन्य सामग्री की आवश्यकता होती है। पूजा विधि में मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल वस्त्र में सजाना और कलश की स्थापना करना शामिल है।
