गुरु तारा का अस्त: जानें क्यों रुकते हैं शुभ कार्य

गुरु तारा का अस्त होना क्या है?
गुरु तारा का अस्त होना: बृहस्पति ग्रह का अस्त होना ज्योतिष और हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इसे गुरु तारा का अस्त होना भी कहा जाता है, जो धार्मिक, सामाजिक और वैवाहिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, बृहस्पतिवार 12 जून, 2025 को शाम 07:56 बजे से गुरु तारा अस्त हो जाएगा।
गुरु का उदय बुधवार 9 जुलाई, 2025 को सुबह 04:44 बजे होगा। इस दौरान गुरु ग्रह 27 दिनों तक अस्त रहेंगे। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। आइए जानते हैं, गुरु तारा का अस्त होना क्या है और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
गुरु तारा का अस्त होने का कारण
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब गुरु ग्रह सूर्य के निकट पहुंचते हैं, तो उनकी चमक सूर्य के तेज में खो जाती है। इस खगोलीय घटना को गुरु ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। यह तब होता है जब गुरु सूर्य के 10 डिग्री के दायरे में आ जाता है। इस स्थिति में गुरु की ऊर्जा पृथ्वी पर नहीं पहुंचती, जिससे शुभ कार्यों में बाधा आती है।
गुरु तारा अस्त का महत्व
बृहस्पति ग्रह को धर्म, ज्ञान, विवाह, संतान, गुरु, शिक्षा और शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। जब यह ग्रह अस्त होता है, तो इसे धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए अशुभ काल माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान किए गए मांगलिक कार्यों में बाधा आती है।
गुरु तारा अस्त में वर्जित कार्य
गुरु बृहस्पति का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। जब गुरु तारा अस्त होते हैं, तो निम्नलिखित कार्य नहीं किए जाते हैं:
- वैवाहिक कार्यक्रम: जैसे शादी, सगाई, आदि।
- गृह संबंधी मांगलिक कार्य: जैसे गृह प्रवेश, भूमि पूजन आदि।
- सामाजिक शुभ संस्कार: जैसे मुंडन, नामकरण आदि।
- अन्य धार्मिक कार्य: जैसे नया व्यापार शुरू करना, संपत्ति खरीदना आदि।