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गुरुग्राम में 27वें पावन वर्षायोग का आयोजन, आचार्य श्री 108 आदित्यसागर जी का मंगल प्रवेश

गुरुग्राम में आचार्य श्री 108 आदित्यसागर जी मुनिराज का 27वां पावन वर्षायोग आयोजित किया जा रहा है। इस धार्मिक आयोजन में चार महीने तक मुनिराज धर्म का प्रचार करेंगे। जानें इस उत्सव के दौरान होने वाले विशेष कार्यक्रमों और जैन समाज के उत्साह के बारे में।
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गुरुग्राम में 27वें पावन वर्षायोग का आयोजन, आचार्य श्री 108 आदित्यसागर जी का मंगल प्रवेश

आचार्य श्री का भव्य स्वागत


  • चार महीने तक धर्म प्रभावना का कार्य करेंगे मुनिराज


(Gurugram News) गुरुग्राम। आचार्य श्री 108 आदित्यसागर जी मुनिराज का 27वां पावन वर्षायोग 2025 (चातुर्मास) श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर जैकबपुरा में आयोजित किया जाएगा। मंगलवार सुबह 8 बजे महावीर पार्क जैन मंदिर से धूमधाम के साथ आचार्य श्री का जैकमपुरा जैन मंदिर में स्वागत किया गया। महाराज जी चार महीने तक यहीं रहकर लोगों में धर्म का प्रचार करेंगे।


विशेष कार्यक्रमों की जानकारी

जैन समाज के प्रवक्ता अभय जैन एडवोकेट ने बताया कि वर्षायोग कलश स्थापना 13 जुलाई रविवार को सुबह 11:30 बजे होगी। इस दौरान 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा, 11 जुलाई को वीरशासन जयंती, 27 जुलाई को हरियाली तीज, 31 जुलाई को पाश्र्वनाथ मोक्षकल्याण, 9 अगस्त को रक्षाबंधन, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 28 अगस्त से 6 सितंबर तक दशलक्षण महापर्व, 2 सितंबर को धूप दशमी, 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी, 8 सितंबर को क्षमावाणी पर्व, 9 सितंबर को वार्षिक रथ यात्रा, 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक नवरात्रि, 7 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा और 21 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी।


समाज में उत्साह का माहौल

श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जैकबपुरा के प्रधान नरेश जैन, उपप्रधान शैलेंद्र जैन, महामंत्री अशोक कुमार जैन, सहमंत्री जिनेंद्र जैन, कोषाध्यक्ष प्रदीप जैन ने बताया कि चातुर्मास के दौरान जीव जंतु की उत्पत्ति होती है, जिससे जैन मुनियों को चलने-फिरने में कठिनाई होती है। इसीलिए जैन धर्म में चातुर्मास का पालन किया जाता है।


जैन समाज के सभी सदस्य आचार्य जी के आगमन को लेकर उत्साहित हैं। चातुर्मास के दौरान सभी मंदिरों से बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए। आचार्य श्री के प्रवचन सुनने के लिए भक्तों ने वादा किया कि वे चार महीने तक निरंतर दर्शन के लिए आएंगे। मंदिर की प्रबंधन समिति और सभी संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तत्पर हैं।