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गुरुवार के दिन के नियम: क्या करें और क्या न करें

गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है। इस दिन विशेष पूजा विधियों का पालन करना महत्वपूर्ण है। जानें इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं, जैसे कि पूजा सामग्री का दान, पाठ का महत्व, और अन्य धार्मिक क्रियाएं। साथ ही, जानें कि किन कार्यों से बचना चाहिए ताकि आप इस दिन का अधिकतम लाभ उठा सकें।
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गुरुवार के दिन के नियम: क्या करें और क्या न करें

गुरुवार का महत्व


भगवान विष्णु और बृहस्पति देव का दिन
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित होता है। इस दिन पूजा में पीले वस्त्र पहनकर, हल्दी युक्त जल से स्नान करके, बृहस्पति देव और श्रीहरि की पूजा की जाती है। पूजा में पीले फूल, चने की दाल, गुड़, और केले जैसी चीजें अर्पित की जाती हैं। इसके बाद व्रत कथा सुनने के साथ-साथ केले के पेड़ की परिक्रमा और आरती की जाती है। आइए जानते हैं इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं।


गुरुवार के नियम


  • मार्गशीर्ष मास में इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, भगवद्गीता और गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करना अत्यंत लाभकारी है।

  • पूजन सामग्री जैसे चंदन, पूजा की प्रतिमा, मोर पंख, आसन, तुलसी की माला, जल कलश, पीतांबर, दीपक आदि का दान करना शुभ माना जाता है।

  • सायंकाल तुलसी जी के पास दीपक जलाना चाहिए।

  • अपने गुरु या इष्ट को ॐ दामोदराय नम: कहकर प्रणाम करना चाहिए, इससे जीवन में बाधाएं दूर होती हैं।

  • महिलाएं घर के मुख्य द्वार से लेकर पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से अल्पनाएं बनाएं, इससे देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

  • इस दिन नदी में स्नान का विशेष महत्व है।

  • माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए लक्ष्मी जी एवं नारायण की प्रतिमा स्थापित करके खीर का भोग लगाना चाहिए।

  • किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करें।


क्या न करें


  • इस दिन बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए।

  • किसी की निंदा न करें और न ही सुनें।

  • अपने गुरु, माता-पिता, बहनों का अनादर न करें।

  • किसी से विवाद होने पर निंदा न करें।

  • जीरे का सेवन न करें।

  • तामसिक और मांसाहारी भोजन से दूर रहें।

  • इस दिन भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रहकर ब्रह्मचर्य का पालन करें।