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गुरुवार व्रत कथा: बृहस्पतिदेव की कृपा से पूरी होंगी मनोकामनाएं

गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पतिदेव को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को विशेष पूजा और कथा का पाठ करना चाहिए। जानें एक व्यापारी की कथा, जिसने बृहस्पतिदेव की कृपा से अपने दुखों का सामना किया और कैसे उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं। इस कथा में दान और पूजा का महत्व भी उजागर होता है।
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गुरुवार व्रत कथा: बृहस्पतिदेव की कृपा से पूरी होंगी मनोकामनाएं

गुरुवार का महत्व


बृहस्पतिदेव की कृपा से पूरी होंगी मनोकामनाएं
आज गुरुवार का दिन है, जो भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन इनकी पूजा का विशेष महत्व है। व्रति को पूजा के समय गुरुवार व्रत कथा का पाठ करना चाहिए, जिससे व्रत का फल प्राप्त होता है और बृहस्पतिदेव की कृपा से सभी दुख दूर होते हैं।


गुरुवार व्रत कथा

एक बार एक व्यापारी अपने धन के लिए प्रसिद्ध था और दान-पुण्य भी करता था। एक दिन वह व्यापार के सिलसिले में विदेश गया, जबकि उसकी पत्नी घर पर थी। उसकी पत्नी बहुत कंजूस थी और दान नहीं करती थी। व्यापारी के जाने के बाद, बृहस्पतिदेव साधु का रूप धारण करके उसके घर भिक्षा मांगने आए। पत्नी ने कहा कि वह दान से तंग आ चुकी है और चाहती है कि उसका धन नष्ट हो जाए।


बृहस्पतिदेव ने उसे सलाह दी कि वह लगातार 7 गुरुवार तक कुछ विशेष उपाय करे। व्यापारी की पत्नी ने तीन गुरुवार तक उन उपायों का पालन किया, जिसके परिणामस्वरूप उसका सारा धन नष्ट हो गया और उसकी मृत्यु हो गई।


जब व्यापारी लौटकर आया, तो उसने देखा कि सब कुछ बर्बाद हो चुका है। वह अपनी बेटी के साथ दूसरे नगर में रहने लगा और लकड़ियां काटकर जीवन यापन करने लगा। एक दिन उसकी बेटी ने दही खाने की इच्छा जताई, तो वह दही लाने जंगल गया। वहां वह रोने लगा। बृहस्पतिदेव फिर से साधु के रूप में उसके पास आए।


बृहस्पतिदेव ने उसे गुरुवार को उनकी पूजा करने और प्रसाद बांटने की सलाह दी। व्यापारी ने ऐसा किया और उसके दुख धीरे-धीरे दूर होने लगे। अगले गुरुवार को वह पूजा करना भूल गया, जिसके कारण उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।


राजा ने उसे और उसकी बेटी को जेल में डाल दिया। लेकिन बृहस्पतिदेव ने फिर से उसकी मदद की और उसे उपाय बताया। व्यापारी ने बृहस्पतिदेव की कथा का पाठ किया और प्रसाद बांटा। इस प्रकार, उसकी बेटी और व्यापारी को रिहा किया गया और व्यापारी का जीवन फिर से खुशहाल हो गया।