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गोस्वामी तुलसीदास: जीवन के लिए प्रेरणादायक दोहे

गोस्वामी तुलसीदास भारतीय साहित्य के एक महान संत-कवि हैं, जिनके दोहे आज भी जीवन में प्रेरणा देते हैं। उनकी जयंती हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस लेख में तुलसीदास जी के जीवन, उनके प्रसिद्ध दोहों और जयंती के महत्व के बारे में जानकारी दी गई है। जानें कैसे उनके विचार आज भी लोगों को मार्गदर्शन करते हैं और जीवन में सकारात्मकता लाते हैं।
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गोस्वामी तुलसीदास: जीवन के लिए प्रेरणादायक दोहे

गोस्वामी तुलसीदास का महत्व

गोस्वामी तुलसीदास केवल एक कवि नहीं हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उनके द्वारा रचित दोहे और कविताएं न केवल साहित्य की धरोहर हैं, बल्कि आज भी लोगों को जीवन जीने की दिशा दिखाते हैं। चाहे धार्मिकता हो या नैतिकता, तुलसीदास जी के दोहे हर पीढ़ी को नई सीख देते हैं।


तुलसीदास जयंती कब मनाई जाती है?

हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह 31 जुलाई 2025 को होगी। इस दिन भारत भर में धार्मिक कार्यक्रम, रामायण पाठ और कीर्तन का आयोजन किया जाता है।


गोस्वामी तुलसीदास का परिचय

तुलसीदास जी को भारतीय साहित्य में एक महान संत-कवि माना जाता है। उन्होंने रामचरित मानस जैसी अमर कृति की रचना की, जिसने उन्हें अमरत्व प्रदान किया। इस ग्रंथ में उन्होंने श्रीराम के आदर्श जीवन का वर्णन किया है, जिसे पढ़कर आज भी लोग भाव-विभोर हो जाते हैं।


कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने एक स्वप्न में श्रीराम के दर्शन किए थे, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। इसके बाद उन्होंने हनुमान बाहुक, कवितावली, विनय पत्रिका, पार्वती मंगल और रामलला नाचू जैसी कई रचनाएं कीं।


तुलसीदास के दोहे आज भी प्रेरणा देते हैं

तुलसीदास जी के दोहे इतने सरल हैं कि आम आदमी भी उन्हें समझ सके, और इतने गहरे हैं कि पूरी जिंदगी को बदल दें। इनके माध्यम से उन्होंने समाज को नैतिकता, प्रेम, भक्ति और संयम का पाठ पढ़ाया।


तुलसीदास के प्रसिद्ध दोहे

“संतन को कहां सीकरी सों काम।”


अर्थ - संतों को सत्ता या राजनीति से कोई मतलब नहीं होता।


“तुलसी इस संसार में भांति-भांति के लोग। सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥”


अर्थ - हर व्यक्ति अलग है, लेकिन सबके साथ प्रेम से मिलिए।


“पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचरहिं ते नर न घनेरे।”


अर्थ - उपदेश देना आसान है, पर उसे खुद अमल में लाना मुश्किल।


इन दोहों की विशेषता यह है कि ये हर युग में प्रासंगिक हैं। चाहे छात्र हों, कामकाजी लोग हों या गृहस्थ जीवन में उलझे व्यक्ति, तुलसीदास के दोहे सबको मार्गदर्शन करते हैं। इनमें न तो आडंबर है, न ही उलझी हुई भाषा, केवल सच्चाई और सीधी सीख है।


तुलसीदास के अन्य महत्वपूर्ण दोहे

राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार। तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर।


अर्थ: तुलसीदासजी कहते हैं यदि तुम कभी भी कल्याण चाहते हो तो अपनी वाणी पर नियंत्रण रखो। गलत शब्द बोलने के बजाय राम नाम का जाप करते रहो। राम नाम का जाप करने से जग का कल्याण होता है।


तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक। साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक।


अर्थ - गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं कि कठिन समय में घबराना नहीं चाहिए और हार नहीं माननी चाहिए। ऐसी परिस्थितियों से अच्छे कर्म, विवेक और बुद्धि से निपटना चाहिए। साहस और अच्छे कर्म ही कठिन परिस्थितियों में आपका साथ दे सकते हैं।


नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु। जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास।


अर्थ - राम नाम का जाप करने से मन साफ रहता है। काम शुरू करने से पहले राम का नाम लें। राम का नाम जपने से तुलसीदास जी भी स्वयं को तुलसी के पौधे के समान पवित्र मानने लगे।


तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर। सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।


अर्थ - तुलसीदासजी कहते हैं कि सुंदर रूप देखकर मूर्ख ही नहीं साधु भी धोखा खा जाते हैं। उदाहरण के लिए, मोर की बनावट बेहद ही सुंदर होती है पर वो सांप का खाते हैं।


तुलसीदास जयंती का महत्व

तुलसीदास जयंती पर रामचरित मानस का पाठ करें, श्रीराम और हनुमान जी की पूजा करें और तुलसीदास जी के दोहों को जीवन में उतारने का संकल्प लें। इससे न केवल मानसिक शांति मिलेगी, बल्कि जीवन में हर संकट से लड़ने की शक्ति भी प्राप्त होगी।