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घर के पूजा घर के लिए वास्तु टिप्स: जानें क्या करें और क्या न करें

घर के पूजा घर को सही दिशा में रखना और उसमें उचित वस्तुओं का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर की दिशा और उसमें रखी वस्तुएं न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं, बल्कि परिवार के जीवन में सुख-समृद्धि भी सुनिश्चित करती हैं। जानें किन चीजों को पूजा घर में नहीं रखना चाहिए और किस दिशा में मंदिर होना चाहिए, ताकि आप अपने घर में शांति और समृद्धि का अनुभव कर सकें।
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घर के पूजा घर के लिए वास्तु टिप्स: जानें क्या करें और क्या न करें

पूजा घर के वास्तु टिप्स

पूजा घर के वास्तु टिप्स: घर का मंदिर एक पवित्र स्थान होता है, लेकिन कई बार अनजाने में की गई कुछ गलतियां परिवार के जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर की दिशा, उसमें रखी वस्तुएं और सफाई जैसे पहलुओं का सही तरीके से पालन न करने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा फैल सकती है, जो दरिद्रता, बीमारी और अशांति का कारण बनती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पूजा घर हमेशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यही दिशा देवी-देवताओं का निवास स्थान मानी जाती है। इसके विपरीत, यदि मंदिर दक्षिण दिशा में है, तो यह यमराज और पितरों की दिशा मानी जाती है, जिससे गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।


मंदिर में न रखें ये चीजें

मंदिर में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां या फटी तस्वीरें रखना वर्जित है। ऐसी वस्तुएं दुर्भाग्य को आमंत्रित करती हैं। इसके अलावा, कांच, प्लास्टिक या सस्ती धातु की मूर्तियों के बजाय मिट्टी, पीतल, चांदी या अष्टधातु की मूर्तियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है। पूजा स्थल पर गंदगी, जूते-चप्पल, झाड़ू या कूड़ेदान जैसी अशुद्ध चीजें रखने से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जिससे मानसिक तनाव और आर्थिक हानि हो सकती है।


पूजा घर में पूर्वजों की तस्वीरें न रखें

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में पूर्वजों की तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। भगवान और पूर्वजों की तस्वीरों का एक साथ होना बड़ा दोष माना जाता है, जिससे सुख-शांति में बाधा आती है और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए यदि आप अपने घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि बनाए रखना चाहते हैं, तो इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है। मंदिर में पवित्रता, सही दिशा और श्रद्धा से की गई पूजा ही जीवन को शुभ फल देती है।