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घर के मंदिर में मूर्तियों के लिए वास्तु नियम: क्या रखें और क्या न रखें

घर के मंदिर में मूर्तियों का चयन करते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना आवश्यक है। कुछ मूर्तियाँ एक साथ रखना शुभ नहीं माना जाता, जैसे शनिदेव और भगवान शिव, या देवी लक्ष्मी और माता काली। इस लेख में जानें कि किन मूर्तियों को एक साथ नहीं रखना चाहिए और मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को कैसे बढ़ाया जा सकता है।
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घर के मंदिर में मूर्तियों के लिए वास्तु नियम: क्या रखें और क्या न रखें

वास्तु शास्त्र के अनुसार मूर्तियों का चयन


वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करें
हर व्यक्ति अपने घर के मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखता है और उनकी पूजा करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि आप कुछ विशेष नियमों का पालन करते हैं, तो इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। हालांकि, कुछ मूर्तियों को एक साथ रखना शुभ नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।


शनिदेव और भगवान शिव की मूर्तियों का संयोजन

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में शनिदेव और भगवान शिव की मूर्तियों को एक साथ नहीं रखना चाहिए। शनिदेव कर्मफल दाता हैं, जबकि भगवान शिव को मुक्तिदाता माना जाता है। इन दोनों मूर्तियों का एक साथ होना नकारात्मक परिणाम दे सकता है।


हनुमान जी और शनिदेव की मूर्तियों का संयोजन

वास्तु के नियमों के अनुसार, हनुमान जी और शनिदेव की मूर्तियों को भी एक साथ नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा, हनुमान जी की मूर्ति को इस प्रकार रखें कि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो।


इन मूर्तियों को एक साथ न रखें

वास्तु शास्त्र में यह भी कहा गया है कि देवी लक्ष्मी और माता काली की मूर्तियों को एक साथ नहीं रखना चाहिए। देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं, जबकि माता काली का स्वरूप उग्र है। इन दोनों का एक साथ होना अशुभ माना जाता है।


मंदिर में मूर्तियों का ध्यान रखें

घर के मंदिर में मां काली, राहु, केतु, और शनिदेव की मूर्तियाँ रखना भी शुभ नहीं माना जाता। यदि आप शिवलिंग स्थापित कर रहे हैं, तो उसके पास अधिक मूर्तियाँ न रखें और नंदी जी को शिवलिंग के सामने रखें।


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