चंद्रग्रहण के दौरान सावधानियाँ और उपाय

आज होगा चंद्रग्रहण
चंद्र ग्रहण के समय सावधानियाँ
चंद्र ग्रहण के दौरान कई महत्वपूर्ण सावधानियाँ बरतने की सलाह दी जाती है। इस समय भोजन का सेवन नहीं किया जाता और पूजा-पाठ जैसे शुभ कार्यों पर रोक लगाई जाती है। सूतक काल शुरू होने से पहले खाद्य पदार्थों में तुलसी या कुश डालने से उन्हें ग्रहण के प्रभाव से सुरक्षित रखा जा सकता है। आइए जानते हैं 7 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण कब से कब तक रहेगा और इसका सूतक काल कब शुरू होगा।
सूतक काल
7 सितंबर 2025 को सूतक काल दोपहर 12:19 बजे से प्रारंभ होगा और 8 सितंबर 2025 को 01:26 बजे समाप्त होगा। बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ व्यक्तियों के लिए सूतक शाम 06:36 बजे से शुरू होगा। ग्रहण लगने से लगभग 9 घंटे पहले सूतक काल की शुरुआत होती है। इस दौरान भोजन बनाना, खाना और पूजा-पाठ सभी निषिद्ध होते हैं।
तुलसी और कुश का महत्व
ग्रहण काल में भोजन और जल में तुलसी पत्ता डालने की परंपरा महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तुलसी माता का स्वरूप मानी जाती हैं और इस समय भोजन में तुलसी डालने से वह अशुद्ध नहीं होता। ग्रहण की छाया के बाद भी ऐसा भोजन खाने योग्य माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी में ऐसे गुण होते हैं जो सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं।
कुश को भी शास्त्रों में पवित्र माना गया है। इसे भोजन और जल में डालने का कारण यह है कि ग्रहण काल में सक्रिय नकारात्मक तरंगों का प्रभाव भोजन पर न पड़े। कुश के स्पर्श से भोजन शुद्ध बना रहता है। यही कारण है कि ग्रहण से पहले हर घर में बुजुर्गों द्वारा भोजन को तुलसी और कुश से सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है।
सूतक काल में क्या न करें
ग्रहण और सूतक काल के दौरान कई कार्यों पर रोक होती है। इस समय नए कपड़े न सिलने और न पहनने की परंपरा है। भगवान की मूर्तियों को छूना और पूजा करना वर्जित है। भोजन बनाना, खाना या सब्जियों की कटाई-छंटाई भी अशुभ मानी जाती है। इसके अलावा, सोना और शारीरिक संबंध भी इस दौरान निषिद्ध होते हैं क्योंकि यह समय साधना और शांति के लिए माना जाता है।
ग्रहण के बाद क्या करें?
ग्रहण समाप्त होते ही सबसे पहले स्नान करना चाहिए ताकि शरीर और मन दोनों शुद्ध हो सकें। इसके बाद घर की सफाई की जाती है और गंगाजल का छिड़काव किया जाता है। भगवान को भोग लगाकर तुलसी दल अर्पित करने की परंपरा भी है। यदि सूतक काल से पहले भोजन को तुलसी या कुश डालकर सुरक्षित नहीं रखा गया था, तो ग्रहण के बाद ताजा भोजन बनाना और खाना उचित माना जाता है।