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चित्रगुप्त पूजा: जानें कब है और इसके नियम

चित्रगुप्त पूजा, जो कि भाई दूज के साथ मनाई जाती है, इस वर्ष 23 अक्टूबर को होगी। यह पूजा भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है, जो मानवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इस लेख में पूजा के नियम और विधियों के बारे में जानकारी दी गई है, जिससे आप इस दिन को सही तरीके से मना सकें। जानें पूजा के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
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चित्रगुप्त पूजा: जानें कब है और इसके नियम

भगवान चित्रगुप्त को समर्पित पूजा


चित्रगुप्त पूजा का महत्व
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज के साथ मनाई जाने वाली चित्रगुप्त पूजा, भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है, जो मानवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इस वर्ष, यह पूजा 23 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। आइए जानते हैं इस दिन के कुछ महत्वपूर्ण नियम, जो जीवन में आने वाली बाधाओं से बचने में मदद करेंगे।


चित्रगुप्त पूजा के लिए आवश्यक क्रियाएँ


  • पूजा से पहले घर की सफाई करें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • लकड़ी की चौकी पर पीले कपड़े बिछाकर भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति स्थापित करें।

  • पूजा में अपनी किताबें, पेन आदि रखें, जिन्हें भगवान चित्रगुप्त का प्रतीक माना जाता है।

  • पूजा आरंभ करने से पहले 'ऊँ श्री गणेशाय नम:' का जाप करें।

  • भगवान चित्रगुप्त का ध्यान करें और उन्हें रोली, चंदन, फूल, अक्षत और पंचामृत अर्पित करें।

  • घी का दीपक और धूप जलाएं।

  • ऊँ चित्रगुप्ताय नम: मंत्र का कम से कम 11 बार जाप करें।

  • एक कोरे कागज पर श्री गणेशाय नम: और ऊँ चित्रगुप्ताय नम: लिखें और अपनी इच्छाएं व्यक्त करें। अंत में इस मंत्र का उच्चारण करें: मसिभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम्! महीतले। लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते।।

  • पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।

  • इस दिन भगवान से जाने-अनजाने में हुए पापों के लिए क्षमा मांगें।


चित्रगुप्त पूजा में क्या न करें


  • इस दिन तामसिक भोजन या किसी भी तामसिक वस्तुओं से बचें।

  • गंदे या अशुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा न करें।

  • पूजा के दौरान पूरी एकाग्रता बनाए रखें।

  • अगर पूजा विधि का ज्ञान नहीं है, तो किसी जानकार से पूछकर ही पूजा करें। अधूरी या गलत विधि से पूजा न करें।

  • यह दिन शांति और पवित्रता का प्रतीक है, इसलिए किसी से झगड़ा न करें और गुस्से पर काबू रखें।