जबलपुर में नाग पंचमी पर सांपों की बचत: वन विभाग की मानवता की मिसाल

सांपों की सुरक्षा के लिए वन विभाग की पहल
नाग पंचमी के अवसर पर जबलपुर में वन विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 57 से अधिक सांपों को सपेरों से मुक्त किया। यह घटना पशु क्रूरता के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है।
सांपों पर अत्याचार की चौंकाने वाली सच्चाई
बचाए गए सांपों में 51 कोबरा और 6 धामन (रैट स्नेक) शामिल थे। वन विभाग के अधिकारियों और पशु चिकित्सकों ने पाया कि कई सांपों के मुंह को फेविक्विक जैसे मजबूत गोंद से बंद कर दिया गया था ताकि वे काट न सकें। कुछ सांपों के मुंह सिल दिए गए थे, जबकि अन्य के दांत तोड़ दिए गए थे। वन अधिकारियों ने कहा, "यह क्रूरता अस्वीकार्य है। इस तरह से सांपों को नुकसान पहुंचाना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन है।"
कानूनी कार्रवाई और सांपों का इलाज
वन विभाग ने 21 सपेरों को हिरासत में लिया है और उनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इस अधिनियम के अनुसार, जंगली जानवरों को पकड़ना, नुकसान पहुंचाना या प्रदर्शन के लिए उपयोग करना गैरकानूनी है। सभी बचाए गए सांपों का पशु चिकित्सकों द्वारा इलाज किया जाएगा और स्वस्थ होने के बाद इन्हें जंगल में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया जाएगा।
जनता से अपील
वन विभाग ने जनता से अनुरोध किया है कि वे ऐसे क्रूर प्रथाओं को प्रोत्साहित न करें। "त्यौहार मनाने का मतलब मासूम जानवरों को नुकसान पहुंचाना नहीं है। हमें वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देना चाहिए और ऐसी गतिविधियों की सूचना तुरंत अधिकारियों को देनी चाहिए," विभाग ने कहा।