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जया पार्वती व्रत: महत्व और विधि

जया पार्वती व्रत, जो 08 जुलाई 2025 से शुरू होकर 13 जुलाई 2025 को समाप्त हो रहा है, अविवाहित कन्याओं और विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह व्रत अच्छे वर की कामना और पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। जानें इस व्रत की पूजा विधि, नियम और इसके महत्व के बारे में।
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जया पार्वती व्रत: महत्व और विधि

जया पार्वती व्रत का महत्व

जया पार्वती व्रत पांच दिनों तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 08 जुलाई 2025 से प्रारंभ हुआ था और आज, 13 जुलाई 2025 को इसका समापन हो रहा है। यह व्रत न केवल अविवाहित कन्याओं द्वारा, बल्कि विवाहित महिलाओं द्वारा भी किया जाता है। अविवाहित लड़कियाँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इसे करती हैं। जो महिलाएं सच्चे मन से इस व्रत का पालन करती हैं, उन्हें देवी पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।


जया पार्वती व्रत का समापन

हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से जया पार्वती व्रत की शुरुआत होती है। यह व्रत पांच दिन बाद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को समाप्त होता है। इस बार, 08 जुलाई 2025 से जया पार्वती व्रत की शुरुआत हुई थी और आज, 13 जुलाई 2025 को इसका समापन हो रहा है।


पूजा विधि

व्रत के पहले दिन, घर में किसी गमले में गेहूं के बीज बोए जाते हैं।


गमले को पूजा की वेदी पर रखें।


पांच दिनों तक गमले में पानी डालते रहें और उसे कुमकुम से सजाएं।


अंतिम दिन, व्रत से एक दिन पहले पूजा के बाद व्रत का पारण करें।


अंतिम व्रत पर रातभर जागरण करें।


व्रत के अंतिम दिन, गमले में उगी गेहूं की घास को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें।


जया पार्वती व्रत के नियम

यह ध्यान रखें कि जया पार्वती व्रत के दौरान सभी प्रकार की सब्जियाँ और अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।


इस व्रत में खाए जाने वाले भोजन में नमक भी नहीं होना चाहिए।


व्रत के पारण वाले भोजन में सब्जियाँ, नमक और गेहूं से बनी रोटियाँ अवश्य होनी चाहिए।


जया पार्वती व्रत लगातार 5, 7, 9, 11 या 20 वर्षों तक रखना आवश्यक है। यदि आप एक वर्ष भी व्रत नहीं करते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन पर पड़ सकता है।