जितिया व्रत 2025: जानें इस पर्व के नियम और पूजा विधि

जितिया व्रत 2025 के नियम
जितिया व्रत 2025 के नियम: जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका और जिउतिया व्रत भी कहा जाता है, विशेष रूप से संतानवती माताओं द्वारा मनाया जाता है। यह व्रत बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर साल आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है, लेकिन इसका आरंभ सप्तमी तिथि से होता है और पारण नवमी तिथि को किया जाता है।
इस वर्ष, 14 सितंबर 2025 को जितिया का मुख्य निर्जला व्रत मनाया जाएगा, जिसके एक दिन पहले नहाय-खाय होगा। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और इसके दौरान कई नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं जितिया व्रत के 10 महत्वपूर्ण नियमों के बारे में।
जितिया व्रत में क्या करें और क्या न करें?
जितिया व्रत में क्या करें और क्या नहीं?
- जितिया व्रत का पहला दिन 'नहाय-खाय' के रूप में मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करके भोजन करती हैं।
- नहाय-खाय के अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, जो सूर्योदय से पहले शुरू होता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होता है। इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ओठगन की रस्म करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। शाम को कुश से बनी भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है।
- अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य देकर और सात्विक भोजन करके व्रत का पारण किया जाता है। व्रत समाप्त होने के बाद जरूरतमंदों को दान देना चाहिए।
जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
जितिया व्रत के नियम
जितिया व्रत के नियम
- स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद ही जितिया व्रत का आरंभ करें।
- पहले दिन केवल एक बार सूर्योदय से पहले सात्विक भोजन करें, जिसमें मरुवा की रोटी और नोनी का साग शामिल होना चाहिए।
- यदि आपने व्रत का संकल्प लिया है, तो उसे बीच में न तोड़ें।
- एक बार व्रत रखने का संकल्प लेने के बाद, हर साल इसे रखना आवश्यक है।
- तीसरे दिन व्रत का पारण रागी की रोटी, चावल, नोनी का साग और तोरई की सब्जी खाकर करें। तामसिक चीजें न खाएं।
- तीन दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- जितिया व्रत के दौरान ज्यादा बातचीत न करें और ध्यान लगाएं।
- इन तीनों दिन दोपहर में सोने से बचें।
- व्रती को इन तीनों दिन बिस्तर पर नहीं बैठना चाहिए, बल्कि भूमि पर दरी डालकर विश्राम करना चाहिए।