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जितिया व्रत 2025: मातृत्व की अनोखी परंपरा और इसकी विशेषताएँ

जितिया व्रत 2025 में माताएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए इस पर्व को श्रद्धा के साथ मनाएंगी। यह पर्व मातृत्व के त्याग और प्रेम का प्रतीक है। जानें इस व्रत की तिथियाँ, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में। 13 से 15 सितंबर के बीच मनाए जाने वाले इस पर्व में नहाय-खाय और ओठगन जैसे महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं।
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जितिया व्रत 2025: मातृत्व की अनोखी परंपरा और इसकी विशेषताएँ

जितिया व्रत का महत्व और तिथियाँ

Jitiya Vrat 2025: भारत और नेपाल में माताएँ अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए जितिया व्रत को श्रद्धा और संयम के साथ मनाती हैं। यह पर्व केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि मातृत्व के त्याग और संतान के प्रति अपार प्रेम का प्रतीक है। जितिया व्रत की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका कठिन निर्जला उपवास है, जिसे माताएँ अपने बच्चों के लिए खुशी-खुशी करती हैं। 2025 में, जितिया व्रत 13 से 15 सितंबर के बीच मनाया जाएगा। इसमें नहाय-खाय, निर्जला उपवास और ओठगन जैसे महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं, जिनका शास्त्रों में विशेष महत्व है। आइए इस पावन व्रत से जुड़ी सभी जानकारी जानें।


नहाय-खाय का शुभ मुहूर्त

नहाय-खाय का शुभ मुहूर्त


तिथि: 13 सितंबर 2025
अष्टमी तिथि आरंभ: 14 सितंबर, सुबह 8:51 AM
अष्टमी तिथि समाप्ति: 15 सितंबर, सुबह 5:36 AM


इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएँ स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करती हैं, जिसे "नहाय-खाय" कहा जाता है। इस दिन सात्विक और पौष्टिक आहार लेने से व्रत की शक्ति और तपस्या में वृद्धि होती है। नहाय-खाय व्रत का यह पहला चरण व्रती को मानसिक और शारीरिक रूप से अगले दिन की कठिन तपस्या के लिए तैयार करता है।


जितिया व्रत का समापन ओठगन के साथ होता है, जिसमें सूर्योदय से पहले जल और अन्न ग्रहण कर उपवास को समाप्त किया जाता है। सही समय पर ओठगन करना व्रत की सिद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है। इससे व्रती की तपस्या पूर्ण मानी जाती है और संतान के जीवन में शुभता आती है।


जितिया व्रत की पूजा विधि

जितिया व्रत की पूजा विधि


पूजा स्थल को स्वच्छ और शुद्ध करें।


भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा या चित्र को पूजा थाली में स्थापित करें।


भोग में नोनी/नेनी साग, फल और परंपरागत व्यंजन अर्पित करें।


पूरे दिन निर्जला उपवास रखें और संतान के लिए प्रार्थना करें।


जितिया के पारंपरिक गीत, कथा और मंत्रों का जाप करें।


दीपक प्रज्वलित कर संतान की सुख-शांति और दीर्घायु की कामना करें।


जितिया व्रत का महत्व

जितिया व्रत का महत्व


जितिया केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि मातृत्व के त्याग, प्रेम और समर्पण की कहानी है। भगवान जीमूतवाहन की कथा और हंस के प्रसंग इस व्रत को धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक पर्व के रूप में स्थापित करते हैं। यह व्रत हर माँ के उस संकल्प का प्रतीक है, जिसमें वह अपने बच्चे की सलामती के लिए खुद को हर कठिनाई से ऊपर रखती है।



  • व्रत को सफल बनाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें


  • घर में साफ-सफाई और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें।


  • व्रत और पूजा के समय मन शांत और पूरी तरह भक्ति में लीन होना चाहिए।


  • यदि संभव हो तो दान-पुण्य करें, इससे व्रत का फल और अधिक प्रभावशाली होता है।