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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025: जानें तिथि और पूजा विधि

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 का पर्व 11 जून को मनाया जाएगा। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का है, जिसमें दान और पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस दिन की पूजा विधि और इसके पीछे की मान्यताएं, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाने में सहायक होती हैं।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025: जानें तिथि और पूजा विधि

ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा का पावन पर्व धर्म, दान और आध्यात्मिकता का अनमोल अवसर प्रस्तुत करता है। यह दिन न केवल श्रद्धालुओं के लिए पूजा और व्रत का महत्व रखता है, बल्कि दान-पुण्य के कार्यों के माध्यम से जीवन में सुख और समृद्धि लाने का प्रतीक भी है।


दान का महत्व

इस दिन शीतल जल, वस्त्र, चावल और छाता जैसे दान से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही, भगवान सत्यनारायण की पूजा और गंगा स्नान से घर में शांति और खुशहाली का संचार होता है।


ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तिथि

2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून, बुधवार को मनाई जाएगी। यह तिथि 10 जून को सुबह 11:35 बजे से शुरू होकर 11 जून को दोपहर 1:13 बजे समाप्त होगी।


पूजा विधि

इस पवित्र दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान से करें। स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा के लिए संकल्प लें। अपने घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान विष्णु या सत्यनारायण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।


पूजा में फल, फूल, पंचामृत, तुलसी, चावल, धूप और दीप का उपयोग करें। सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें, आरती करें, और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर दक्षिणा दें। अंत में, अपनी श्रद्धा के अनुसार जलपात्र, छाता या वस्त्र का दान करें।


आध्यात्मिक महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अद्वितीय है। इस दिन किए गए कार्य न केवल जीवन की नकारात्मकता को दूर करते हैं, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करते हैं।


गंगा स्नान और भगवान सत्यनारायण की पूजा से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।