ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व और पूजा विधि: जानें कैसे करें व्रत
ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत, दान और पूजा-पाठ करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। जानें इस दिन के विशेष कार्यों, पूजा विधि और लाभ के बारे में। ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखने से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
Jun 10, 2025, 11:09 IST
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ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का महत्व और इसकी पूजा विधि के बारे में।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की जानकारी
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 2025 में 10 जून, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। इस दिन व्रत, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। यह तिथि वट सावित्री व्रत के लिए भी जानी जाती है, जिसमें महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन से मानसिक और शारीरिक सुख में वृद्धि होती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन स्नान और दान का महत्व
पंडितों के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान और दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है। चंद्रमा को अर्घ्य देना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का भी महत्व है।
दान का महत्व
इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान देना अत्यंत पुण्यकारी होता है। दान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन पीपल, नीम और बरगद के वृक्ष लगाने का संकल्प लेना भी शुभ माना जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ पूर्णिमा को स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 04:02 से 04:42 बजे तक रहेगा। अमृत काल सुबह 10:35 से 12:20 बजे तक रहेगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के लाभ
ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन हल्का भोजन या फलाहार किया जा सकता है। कई भक्त निर्जला व्रत रखते हैं। इस व्रत का पालन भगवान नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
इस दिन व्रती को प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए। इसके बाद वट वृक्ष की पूजा करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। रात को चंद्रमा की आराधना करें और एक लोटे में कच्चा दूध डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर क्या न करें
इस दिन बाल या नाखून काटना, तामसिक भोजन करना और विवाद करना अशुभ माना जाता है। संयम और सात्त्विकता का पालन करना चाहिए।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भोग का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को विशेष भोग अर्पित करने का विधान है। आमतौर पर खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है।