ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी: पूजा विधि और महत्व
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश की पूजा का विशेष दिन है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से करियर और व्यापार से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है। जानें इस पर्व की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े लाभकारी उपाय। गणेश जी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
May 30, 2025, 11:29 IST
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ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का महत्व
आज ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का पर्व है, जिसे भगवान गणेश की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से करियर और व्यापार से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी की पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी के बारे में जानकारी
हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 30 मई को आएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। हमारी संस्कृति में गणेश जी को पहले पूजनीय माना गया है। किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा अनिवार्य है। पंडितों के अनुसार, गणेश जी चतुर्थी तिथि के अधिष्ठाता माने जाते हैं। इन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। गणेश जी की उपासना से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है और वैनायकी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ की विनायक चतुर्थी का व्रत 30 मई को है। इस बार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। विनायक चतुर्थी तिथि 29 मई की रात 11:18 बजे से शुरू होकर 30 मई को रात 9:22 बजे तक रहेगी। सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सुबह 05:24 बजे से रात 09:29 बजे तक है। ये दोनों योग शुभता और सिद्धि प्रदान करते हैं। विनायक चतुर्थी व्रत में गणेश जी की पूजा दोपहर में की जाती है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10:56 बजे से दोपहर 01:42 बजे तक है। पूजा के समय विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।
विनायक चतुर्थी की तिथि और मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 29 मई, बुधवार की रात 09:54 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 30 मई, गुरुवार की रात 11:20 बजे तक
- 30 मई को सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक का समय विशेष रूप से उत्तम है।
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 30 मई, गुरुवार की रात 11:20 बजे तक
- 30 मई को सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक का समय विशेष रूप से उत्तम है।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी पर पूजा विधि
पंडितों के अनुसार, सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के मंदिर या साफ स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। दीपक जलाएं और रोली, अक्षत, दूर्वा, लाल फूल, मोदक, नारियल आदि से पूजा करें। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। गणेश चालीसा या गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। अंत में आरती कर प्रसाद बांटें।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी पर लाभकारी उपाय
नए कार्यों की शुरुआत के लिए यह दिन शुभ है, जैसे नया व्यापार, नौकरी के लिए आवेदन, या नए प्रोजेक्ट की शुरुआत। छात्रों के लिए यह दिन पढ़ाई शुरू करने या परीक्षा की योजना बनाने के लिए उत्तम है। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश का ध्यान अवश्य करें।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा
पुरानी कथाओं के अनुसार, एक व्यापारी अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता था। वह हर महीने विनायक चतुर्थी का व्रत श्रद्धा से करता था। एक बार व्यापारी व्यापार के लिए दूर गया और पत्नी को व्रत न करने के लिए कहा। लेकिन पत्नी ने अकेले ही व्रत किया। व्यापारी के लौटने पर उसे नुकसान का सामना करना पड़ा। पंडित ने बताया कि पत्नी ने नियम तोड़ा है। दोनों ने मिलकर अगले विनायक चतुर्थी को व्रत किया और भगवान गणेश से क्षमा मांगी। गणेश जी प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि जो भी श्रद्धा से व्रत करेगा, उसके विघ्न दूर होंगे।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत के फायदे
पंडितों के अनुसार, जो विनायक चतुर्थी का व्रत करता है, उसके सभी कार्यों में सफलता मिलती है। गणेश जी की कृपा से कुंडली का राहु-केतु दोष दूर होता है। नौकरी, परीक्षा, विवाह, संतान, कोर्ट केस आदि में आने वाले विघ्न टल जाते हैं। गणपति बप्पा की कृपा से घर में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ज्येष्ठ वैनायक गणेश चतुर्थी के उपाय
यदि व्यापार में लाभ नहीं मिल रहा है, तो आज एक दूर्वा की गांठ लेकर उस पर 11 बार मौली लपेटें और श्री गणेश को चढ़ाएं। इससे व्यापार में लाभ होगा। आर्थिक अस्थिरता से छुटकारा पाने के लिए 8 मुखी रुद्राक्ष की पूजा करें। यदि ऑफिस में जलन का सामना करना पड़ रहा है, तो ‘ऊँ गं गणपत्ये नमः’ का 108 बार जप करें। जॉब चेंज के लिए भगवान को 11 बेसन के लड्डू चढ़ाएं।