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झारखंड में पहली बार बाघ का सफल रेस्क्यू, 14 घंटे की मेहनत का नतीजा

झारखंड के रांची में पहली बार किसी बाघ का सफल रेस्क्यू किया गया है, जो 14 घंटे की मेहनत के बाद संभव हुआ। यह घटना तब हुई जब एक बाघ एक घर में घुस गया, जिसके बाद स्थानीय वन विभाग और टाइगर रिजर्व की टीम ने मिलकर उसे सुरक्षित पिंजरे में कैद किया। जानें इस अद्भुत रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में और कैसे यह घटना चर्चा का विषय बनी।
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झारखंड में पहली बार बाघ का सफल रेस्क्यू, 14 घंटे की मेहनत का नतीजा

रांची में बाघ का रेस्क्यू ऑपरेशन

रांची समाचार: झारखंड के रांची से एक अनोखी खबर आई है जिसने सभी का ध्यान खींचा है। यहां पहली बार किसी बाघ का सफल रेस्क्यू किया गया है। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि यह बचाव अभियान 14 घंटे की मेहनत के बाद सफल हुआ। इस ऑपरेशन को पलामू टाइगर रिजर्व और रांची डिवीजन की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया है। आइए जानते हैं कि यह मामला क्या है, जो इतनी चर्चा का विषय बना हुआ है।


बाघ का घर में घुसना

यह घटना रांची जिले के मारदू गांव की है। गांव के निवासी पूरन चंद बुधवार सुबह लगभग 4:30 बजे अपनी नाइट शिफ्ट से लौटे। जैसे ही उन्होंने अपनी बकरी को घर से बाहर निकाला, अचानक एक बाघ उनके घर में घुस आया। उस समय पूरन की दो बेटियां घर में सो रही थीं। बाघ के घर में घुसने के बाद, पूरन ने बहादुरी से अपनी बेटियों को बाहर निकाला और दरवाजा बंद कर दिया। इसके बाद पूरे गांव में बाघ की खबर फैल गई और लोग इकट्ठा होने लगे।


बाघ को पकड़ने की कोशिश

सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ओरमांझी स्थित बिरसा जैविक उद्यान से मौके पर पहुंची। हालांकि, घंटों की कोशिशों के बावजूद, टीम बाघ को पकड़ने में असफल रही। इसके बाद पलामू टाइगर रिजर्व और रांची डिवीजन की संयुक्त टीम ने बाघ को रेस्क्यू करने का कार्यभार संभाला। इस टीम ने कई घंटों की मेहनत के बाद बुधवार शाम 6:30 बजे के करीब बाघ को सुरक्षित पिंजरे में कैद कर लिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से रांची, तमाड़ और खूंटी के जंगलों में बाघ की गतिविधियों की आशंका थी। रेस्क्यू किया गया बाघ लगभग 6 फीट लंबा है।


पहली बार जिंदा बाघ का रेस्क्यू

यह पूरा ऑपरेशन झारखंड के PCCF वाइल्ड लाइफ और CWLW ऑपरेशन परितोष उपाध्याय की देखरेख में किया गया। इस अभियान को PTR के DD आशीष और PTR के कर्मचारी प्रजेश जेना ने मिलकर अंजाम दिया है। झारखंड में यह पहली बार हुआ है कि किसी बाघ को जिंदा रेस्क्यू किया गया है। जानकारी के अनुसार, रेस्क्यू किए गए बाघ को परिवहन के लिए शांत किया गया और फिर उसे पीटीआर में सॉफ्ट रिलीज सेंटर में अवलोकन के बाद जंगल में छोड़ने का निर्णय लिया जाएगा।