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डॉक्टर हनुमान मंदिर: चमत्कारिक उपचार का स्थल

डॉक्टर हनुमान मंदिर, मध्य प्रदेश के भिंड जिले में स्थित एक अनोखा स्थल है, जहां भक्तों का मानना है कि भगवान हनुमान असाध्य रोगों का उपचार करते हैं। इस मंदिर की स्थापना से जुड़ी रोचक कहानियां और मान्यताएं इसे विशेष बनाती हैं। यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि हनुमान जी की भभूति और चरणामृत से गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है। हर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है, विशेषकर भाद्रपद मास के अंतिम मंगलवार को मनाए जाने वाले 'बुढ़वा मंगल' उत्सव के दौरान।
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डॉक्टर हनुमान मंदिर: चमत्कारिक उपचार का स्थल

डॉक्टर हनुमान मंदिर का परिचय

डॉक्टर हनुमान मंदिर: भारत में हर मंदिर की अपनी एक विशेषता और चमत्कार है। मध्य प्रदेश के भिंड जिले में स्थित डॉक्टर हनुमान मंदिर भी इसी श्रेणी में आता है। यह मंदिर दंदरौआ धाम में स्थित है, जहां भगवान हनुमान को चिकित्सक के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और रहस्य इसे और भी अद्वितीय बनाते हैं।


इतिहास और मान्यताएं

दंदरौआ धाम का यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि जब इस क्षेत्र में एक नीम का पेड़ काटा गया, तब उसके नीचे से भगवान हनुमान की एक प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई। यह मूर्ति गोपी वेश में और नृत्य की मुद्रा में है, जो भारत में अपनी तरह की अनोखी मानी जाती है। भक्तों का मानना है कि यह मूर्ति जीवंत है और नृत्य करती है।


साधु का कैंसर ठीक होना

साधु का ठीक हुआ कैंसर


इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है। शिवकुमार दास नामक एक साधु कैंसर से ग्रस्त थे और भगवान हनुमान के बड़े भक्त थे। एक रात जब वे मंदिर में रुके, तब हनुमान जी ने उन्हें डॉक्टर के रूप में दर्शन दिए। साधु के गले में स्टेथोस्कोप था और दर्शन के बाद वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। तभी से इस मंदिर को डॉक्टर हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।


असाध्य रोगों का उपचार

असाध्य रोगों का होता है इलाज


भक्तों का मानना है कि हनुमान जी यहां सभी प्रकार के रोगों का उपचार करते हैं, विशेषकर कैंसर, फोड़े, अल्सर और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए। मंदिर की पांच परिक्रमा करने और हनुमान जी की भभूति लगाने से रोग ठीक होने का विश्वास है। कुछ भक्तों का कहना है कि मंदिर के चरणामृत का सेवन करने से भी गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है।


विशेष उत्सव और मान्यताएं

हर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की बड़ी संख्या होती है। भाद्रपद मास के अंतिम मंगलवार को 'बुढ़वा मंगल' का विशेष उत्सव मनाया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। एक मान्यता के अनुसार, जब रावण ने सीता माता का अपहरण किया था, तब हनुमान जी ने सखी रूप में अशोक वाटिका में प्रवेश किया था। यह घटना भाद्रपद के अंतिम मंगलवार को हुई थी, जिससे बुढ़वा मंगल का विशेष महत्व है।


भभूति का महत्व

सभी व्याधियों का होता है अंत


इस मंदिर में हनुमान जी की नृत्य मुद्रा वाली मूर्ति के अलावा, यहां की भभूति को रामबाण माना जाता है। मंदिर के महंत के अनुसार 'ऊँ श्री ददरौआ हनुमते नम:' मंत्र का जाप करने से सभी व्याधियां समाप्त होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।