तिब्बती बौद्ध धर्म और दलाई लामा: चीन की चुनौती और भविष्य की संभावनाएं
इस लेख में बौद्ध धर्म की उत्पत्ति, तिब्बत और चीन के बीच के संबंध, दलाई लामा की भूमिका और उनके चयन की प्रक्रिया पर चर्चा की गई है। साथ ही, भविष्य में दो दलाई लामा की संभावना और चीन के प्रभाव पर भी विचार किया गया है। यह जानकारी तिब्बती बौद्ध धर्म के भविष्य को समझने में मदद करेगी।
Aug 25, 2025, 19:28 IST
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बौद्ध धर्म का उदय और तिब्बत की स्थिति
एक बच्चा जब अपने बैग में सामान भर रहा होता है, तो उसकी मां तुरंत पूछती है कि वह कहां जा रहा है। बच्चा बताता है कि वह एक ऐसी उच्च पीठ की ओर जा रहा है, जिस पर विश्वास करना मुश्किल है। इसके बाद कुछ लोग वहां आते हैं और उसके सामने सामान रखते हैं। वह कुछ चीजें चुनता है और कुछ को छोड़ देता है। इस प्रक्रिया के बाद, उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाती है, और यह बदलाव न केवल उसके लिए, बल्कि उसके देश के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। बौद्ध धर्म, जो दुनिया के चार सबसे बड़े धर्मों में से एक है, ईसाई, इस्लाम और हिंदू धर्म के बाद आता है। यह धर्म लगभग 2500 साल पहले गौतम बुद्ध द्वारा भारत में स्थापित किया गया था। वर्तमान में, लगभग 54 करोड़ लोग इस धर्म को मानते हैं। बौद्ध धर्म की उत्पत्ति और तिब्बती बौद्ध धर्म पर चीन के प्रभाव के बारे में जानना आवश्यक है।
तिब्बत और चीन का संबंध
तिब्बत और चीन
चीन हमेशा तिब्बत के प्रति सतर्क रहता है, क्योंकि यह क्षेत्र उसके द्वारा अवैध रूप से कब्जाया गया है। तिब्बत और चीन का आकार लगभग समान है, लेकिन चीन की सेना ने वहां के लोगों का शोषण किया, जिसके कारण दलाई लामा को भागना पड़ा। राजनीतिक दृष्टि से, तिब्बत कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा। ईसा से पहले एक शताब्दी में, मगध के एक राजा ने तिब्बत के विभिन्न समुदायों को एकजुट किया था। 7वीं शताब्दी तक, तिब्बत का मध्य एशिया के एक भूभाग पर अधिकार था। उस समय सोंगत्सेन गैम्पो तिब्बत के शासक थे। 763 में, तिब्बतियों ने चीन की राजधानी चांग (आज का शियान) पर कब्जा कर लिया था। तब से, लगभग 250 वर्षों तक, चीन की राजधानी तिब्बत के अधीन रही। मंगोल साम्राज्य के विस्तार के दौरान, 12वीं सदी में मंगोलों ने चीन पर हमला किया और 1280 के आसपास चीन ने मंगोलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
दलाई लामा की भूमिका
दलाई लामा कौन हैं?
दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता हैं और उन्हें करुणा के बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का मानव अवतार माना जाता है। वर्तमान दलाई लामा, तेनज़िन ग्यात्सो का जन्म 1935 में अमदो (अब चीन के किंघई प्रांत में) हुआ था। उन्हें दो साल की उम्र में पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया और 1940 में ल्हासा में स्थापित किया गया। दलाई लामा ने तिब्बत में आध्यात्मिक और राजनीतिक अधिकार दोनों का संचालन किया, लेकिन 1950 में चीन के नियंत्रण के बाद, वे धर्मशाला में निर्वासित हो गए हैं।
दलाई लामा के चयन की प्रक्रिया
दलाई लामा चुनने की पारंपरिक प्रक्रिया क्या है?
नए दलाई लामा का चयन एक जटिल प्रक्रिया है, जो पुनर्जन्म में तिब्बती बौद्ध विश्वास पर आधारित है। दलाई लामा के निधन के बाद, वरिष्ठ भिक्षु संकेतों और दर्शन की तलाश करते हैं। वे दाह संस्कार से निकलने वाले धुएं की दिशा का अध्ययन करते हैं और सपनों की व्याख्या करते हैं। अक्सर, खोज ल्हामो ला-त्सो पर केंद्रित होती है, जो एक पवित्र झील है। जब संभावित बच्चा मिल जाता है, तो उसे दिवंगत दलाई लामा की वस्तुओं की पहचान करने के लिए कहा जाता है। सही पहचान को आध्यात्मिक पुष्टि माना जाता है।
वर्तमान दलाई लामा का चयन
वर्तमान दलाई लामा को कैसे चुना गया?
वर्तमान दलाई लामा की खोज 13वें दलाई लामा के निधन के बाद की गई थी। भिक्षुओं ने ल्हामो ला-त्सो में दर्शन के आधार पर तक्त्सेर गांव में एक बच्चे को खोजा, जिसने पिछले दलाई लामा की वस्तुओं की सही पहचान की। उसे 14वें दलाई लामा के रूप में मान्यता दी गई और तेनज़िन ग्यात्सो नाम दिया गया। लेकिन आज इस प्रक्रिया को दोहराना चुनौतीपूर्ण है।
दलाई लामा का जन्म स्थान
क्या कभी कोई दलाई लामा तिब्बत के बाहर पैदा हुआ है?
तिब्बत के बाहर दलाई लामाओं के जन्म के दो ऐतिहासिक उदाहरण हैं। चौथे दलाई लामा, योंतेन ग्यात्सो का जन्म 1589 में मंगोलिया में हुआ था, और छठे दलाई लामा, त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म भारत के वर्तमान अरुणाचल प्रदेश में हुआ था। दोनों को पारंपरिक व्यवस्था के भीतर मान्यता दी गई। यह चीन के इस दावे को कमजोर करता है कि अगले दलाई लामा का जन्म उसकी सीमाओं के भीतर होना चाहिए।
भविष्य की चुनौतियाँ
पहली बार बन सकते हैं 2 दलाई लामा
विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव के बीच दो दलाई लामा की संभावना है। एक जिसे निर्वासित तिब्बती स्वतंत्र रूप से चुनेंगे, और दूसरा जिसे बीजिंग अपनी कठपुतली के रूप में पेश करेगा। यह स्थिति तिब्बती बौद्ध धर्म के भविष्य को प्रभावित कर सकती है। वर्तमान में, दुनिया को दलाई लामा के शांति और करुणा की आवश्यकता है, और सभी की नजरें धर्मशाला पर हैं कि उत्तराधिकारी की प्रक्रिया को लेकर क्या निर्णय लिया जाएगा।