तुलसीदास जयंती पर संस्कृत में शुभकामनाएं

तुलसीदास जयंती संस्कृत शुभकामनाएं
तुलसीदास जयंती संस्कृत शुभकामनाएं: श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को महान संत और कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती मनाई जाती है।
तुलसीदास जी को भगवान राम का अनन्य भक्त और 'रामचरितमानस' जैसे अमर ग्रंथ के रचयिता के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर भक्तजन पूजा-अर्चना करते हैं, रामचरितमानस का पाठ करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं भेजते हैं।
यदि आप भी अपने प्रियजनों को संस्कृत में विशेष और पारंपरिक तरीके से शुभकामनाएं देना चाहते हैं, तो यहां हम आपके लिए कुछ बेहतरीन तुलसीदास जयंती संस्कृत शुभकामनाएं और तुलसीदास जी के प्रसिद्ध दोहे प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें आप संदेश, स्टेटस या सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
तुलसीदास जयंती संस्कृत विशेज
“श्रीरामभक्ताय तुलसीदासाय नमः। जयतु तुलसीकृतं रामचरितमानसम्।”
“श्रीरामकथारससुधानिधये तुलसीदासाय नमः। शुभतुलसीदासजयंती!”
“रामनामस्मरणं करोति यः सदा, स एव भवबन्धनात् मुच्यते। तुलसीदासवाणी प्रेरणा ददातु।”
“रामभक्तस्य वाणी पावनी, तुलसीदासस्य जयन्ती शुभमस्तु।”
“श्रीरामचरितमानसस्य रचयिता तुलसीदासाय नमः। तुलसीजयंती शुभाशयाः।”
तुलसीदास जी के प्रसिद्ध दोहे
नमन करू तुम चरणों में, राम चरित के रचेता
तुलसीदास दोनों कर जोडू, राम ह्रदय विजेता.
काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान। तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान।।
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भांती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥
तुलसीदास जयंती 2025 पर शुभकामनाएं
धर्म का काम किसी का मत बदलना नहीं, बल्कि मन बदलना है
एक व्यक्ति इसके आधार पर ही सही रास्ते पर चल सकता है..
जीवन का सार समझाने वाले तुलसीदास जी को नमन
दुर्जन दर्पण सम सदा, करि देखौ हिय गौर।
संमुख की गति और है, विमुख भए पर और॥
मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक
पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित
तुलसीदास जी के अमर दोहे
“जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखी तैसी।”
“परहित सरिस धर्म नहिं भाई, परपीड़ा सम नहिं अधमाई।”
“धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपत काल परखिए चारी॥”
तुलसीदास जयंती 2025 पर शुभकामनाएं
तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।
तुलसीदास जयंती 2025
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत,राम भरोसे एक ।।
हनुमान चालीसा लिखी, अमर अमिट ये गाथा
घट में हरी बसे तुम्हरे, मन भक्ति में लागा
दरस दिए राम लला ने, हनुमत संग बिराजे
उदय हुआ सुख का सूरज, भाग्य किस्मत जागा.