दीपक जलाने के नियम: किस भगवान के सामने कौन सा तेल जलाना है शुभ?

दीपक जलाने का महत्व
Puja Rules: हिंदू धर्म में पूजा के दौरान दीपक जलाना अत्यंत आवश्यक है। बिना दीपक के कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती। दीपक की रोशनी घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायक होती है। धार्मिक ग्रंथों जैसे शिव पुराण, देवी भागवत पुराण और वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि विभिन्न देवी-देवताओं के सामने अलग-अलग प्रकार के तेल या घी का दीपक जलाने से विशेष फल प्राप्त होता है। हर तेल का अपना महत्व है, जो ग्रहों को संतुलित करने, इच्छाओं को पूरा करने और वास्तु दोष को सुधारने में मदद करता है।
दीपक जलाने का उद्देश्य
क्यों जलाया जाता है दीपक?
हिंदू धर्म में दीपक को प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। वेदों और पुराणों के अनुसार, दीपक की रोशनी नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है और घर में सुख-शांति लाती है। शिव पुराण में कहा गया है कि दीपक की लौ भगवान को प्रिय होती है और यह मन के अंधकार को दूर करती है। दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। बिना दीपक के पूजा सफल नहीं होती। दीपक को सही तेल, दिशा और विधि से जलाना आवश्यक है। गलत तरीके से दीपक जलाने से पूजा का फल कम हो सकता है और कभी-कभी नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। आइए जानते हैं कि किस भगवान के सामने कौन से तेल का दीपक जलाना शुभ होता है?
घी का दीपक
घी का दीपक
शिव पुराण और देवी भागवत पुराण में घी के दीपक को सबसे पवित्र और शुभ माना गया है। यह मां लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं को प्रिय है। घी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, वास्तु दोष दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है। घी के दीपक में रुई की गोल बत्ती का उपयोग करें। इसे भगवान के बाईं ओर और पूर्व दिशा में रखें। ध्यान रखें कि दीपक पूजा के दौरान न बुझे।
देवी भागवत पुराण के अनुसार, शुक्रवार की शाम को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। रुई की गोल बत्ती डालें और दीपक को मां की मूर्ति के बाईं ओर रखें। इससे धन की कमी दूर होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है। दीपक को मूर्ति के बाईं ओर और पूर्व दिशा में रखें। इससे परिवार में शांति बनी रहती है। पद्म पुराण में तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है। तुलसी के सामने शाम को घी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और धन लाभ के योग बनते हैं।
सरसों के तेल का दीपक
सरसों के तेल का दीपक
शिव पुराण और ज्योतिष शास्त्र में सरसों के तेल के दीपक को शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक बताया गया है। यह तेल शनि, हनुमान जी, और भैरव जी को प्रिय है। सरसों का तेल बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। सरसों के तेल में लाल धागे की बत्ती डालें। दीपक को दाईं ओर और पूर्व या दक्षिण दिशा में रखें। रामचरितमानस के अनुसार, हनुमान जी के सामने सूर्यास्त के बाद मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल डालकर दीपक जलाएं। लाल धागे की बत्ती डालें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे संकट दूर होते हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से बचने के लिए शनिवार को शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ है। दीपक को शनि देव की मूर्ति के दाईं ओर रखें। इससे शनि का प्रभाव कम होता है। काल भैरव तंत्र में भैरव जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाने से शत्रु परेशान नहीं करते और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
तिल के तेल का दीपक
तिल के तेल का दीपक
ज्योतिष शास्त्र और देवी भागवत पुराण में तिल के तेल के दीपक को ग्रह दोष निवारण और धन लाभ के लिए प्रभावी माना गया है। यह मां लक्ष्मी और शनि देव को प्रिय है। तिल के तेल में लाल धागे की बत्ती डालें। दीपक को दाईं ओर और पूर्व या दक्षिण दिशा में रखें। देवी भागवत पुराण के अनुसार, तिल के तेल का दीपक मां लक्ष्मी के सामने जलाने से उनकी कृपा मिलती है और सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। दीपक को दाईं ओर रखें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं। तिल का तेल शनि के प्रकोप को शांत करता है। शनिवार को तिल के तेल का दीपक जलाकर ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 11 बार जाप करें। इससे शनि दोष कम होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार पितरों के लिए दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक जलाने से पितृ दोष दूर होता है।
महुआ के तेल का दीपक
महुआ के तेल का दीपक
शिव पुराण में महुआ के तेल को भगवान शिव का प्रिय बताया गया है। यह तेल तांत्रिक पूजा और साधना में इस्तेमाल होता है। भगवान शिव के सामने महुआ के तेल का दीपक जलाने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। अलसी के तेल में लाल धागे की बत्ती डालें। दीपक को दाईं ओर और पूर्व दिशा में रखें। सावन मास या सोमवार को शिवलिंग पर महुआ का तेल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। इससे शिव जी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अलसी के तेल का दीपक
अलसी के तेल का दीपक
ज्योतिष शास्त्र में अलसी के तेल के दीपक को राहु और केतु के दोषों को शांत करने के लिए प्रभावी माना गया है। नवरात्रि या गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के सामने अलसी के तेल का दीपक जलाने से राहु-केतु की अशुभता कम होती है और सुरक्षा मिलती है। राहु के प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान जी के सामने अलसी का तेल जलाएं। दीपक को पूर्व या दक्षिण दिशा में रखें। पश्चिम दिशा में दीपक जलाने से धन हानि हो सकती है।
महत्वपूर्ण जानकारी
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।