दुनिया में मिला नया और अत्यधिक दुर्लभ रक्त समूह 'G निगेटिव'

G निगेटिव रक्त समूह की खोज
Blood Group Type: हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक नए रक्त समूह 'G निगेटिव' की पहचान की है, जिसे 'अल्ट्रा रेयर' यानी अत्यधिक दुर्लभ बताया गया है। यह रक्त समूह अब तक केवल एक महिला में पाया गया है, जो ग्वाडेलूप की निवासी है। इस महिला का रक्त समूह न तो ए, बी, ओ और न ही अन्य 47 ज्ञात समूहों से मेल खाता है।
खोज की शुरुआत 2011 में
इस अनोखे रक्त समूह की खोज की शुरुआत 2011 में हुई, जब 54 वर्षीय महिला को सर्जरी के लिए रक्त की आवश्यकता पड़ी। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से, किसी भी रक्तदाता का रक्त उसके रक्त से मेल नहीं खा रहा था। मेडिकल परीक्षणों में महिला के रक्त में असामान्य एंटीबॉडी पाए गए, जो सभी ज्ञात रक्त समूहों से भिन्न थे। इस कारण से ऑपरेशन को टालना पड़ा।
2019 में पहचान और 2025 में मान्यता
इसके बाद, फ्रांसीसी संगठन Etablissement Français du Sang (EFS) ने डीएनए अनुक्रमण और जैविक परीक्षण की प्रक्रिया शुरू की। आठ वर्षों की मेहनत के बाद, 2019 में इस रक्त समूह की पहचान हुई, लेकिन इसे वैज्ञानिक मान्यता 2025 में मिली। EFS के मेडिकल बायोलॉजिस्ट के अनुसार, यह रक्त समूह माता-पिता के म्यूटेटेड जीन के कारण उत्पन्न हुआ है। इसे 'Gwada Negative' नाम दिया गया है और यह दुनिया का 48वां रक्त समूह बन गया है।
चिकित्सा में महत्वपूर्ण उपलब्धि
रक्त समूह की जानकारी न केवल रक्त चढ़ाने में, बल्कि अंग प्रत्यारोपण और गंभीर बीमारियों की पहचान में भी सहायक होती है। अमेरिका के CDC के अनुसार, हर साल वहां लगभग 1.4 करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है। इस प्रकार का नया और दुर्लभ रक्त समूह चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। यह खोज यह दर्शाती है कि मानव शरीर और जेनेटिक्स के रहस्य अभी भी विज्ञान के लिए अनसुलझे हैं और नई खोजें संभव हैं।