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देवउठनी एकादशी: भगवान विष्णु के जागने का शुभ समय

देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने का महत्व है। इस दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। जानें इस विशेष दिन पर देव उठाने का सही समय और पूजा विधि। व्रत करने वालों को वैकुंठधाम की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे इस दिन की पूजा की जाती है और क्या है इसके पीछे की धार्मिक मान्यता।
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देवउठनी एकादशी: भगवान विष्णु के जागने का शुभ समय

Dev Uthane Samay आज 1 नवंबर:

चार महीने तक भगवान विष्णु चातुर्मास में क्षीरसागर में योगनिद्रा में रहते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं, जिससे सभी शुभ कार्य फिर से आरंभ होते हैं। इसका अर्थ है कि आज से विवाह, गृहप्रवेश और यज्ञ जैसे कार्य किए जा सकते हैं। जो लोग इस दिन व्रत करते हैं, उन्हें वैकुंठधाम की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं पूजा के बाद देव उठाने का सही समय।


आज देवउठनी एकादशी पर देव उठाने का समय

आज 1 नवंबर को देव उठाने का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होता है। इसके अतिरिक्त, गोधूलि काल में शाम 5 बजकर 35 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट तक देवों को जगाने का समय है। इसी समय में देव उठाएं और एकादशी पूजा करें।


देवउठनी एकादशी पर देव कैसे उठाते हैं?

देवउठनी एकादशी की पूजा सुबह या शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें। तुलसी के पौधे के पास भगवान विष्णु का चित्र या शालिग्राम रखें।


तुलसी के पास दीप जलाएं। लकड़ी की छोटी छड़ी से जमीन या चौकी पर हल्के से थपकी देते हुए बोलें – ठो देवा, जागो देवा, तुलसी विवाह लग्न जवांरा आ गया। या कहें – ऊठो ऊठो गोविंद, ऊठो गोकुलनाथ, ऊठो ऊठो प्रभु परब्रह्म, चार मास निद्रा भई समाप्त। फिर भगवान विष्णु को भोग लगाएं और आरती करें। अंत में तुलसी को जल चढ़ाएं और देवउठनी एकादशी की कथा सुनें।