धीरेंद्र शास्त्री का गरबा पर विवादास्पद बयान: सांस्कृतिक सीमाओं का सम्मान

गरबा महोत्सव की तैयारियों के बीच विवाद
Dhirendra Shastri: नवरात्रि के उत्सव के दौरान गरबा महोत्सव की तैयारियों में पूरे देश में उत्साह का माहौल है। मां दुर्गा की भक्ति और पारंपरिक नृत्य का संगम देखने को मिल रहा है। इसी बीच, बागेश्वर धाम के प्रमुख संत धीरेंद्र शास्त्री का एक बयान चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने गरबा आयोजनों में अन्य धर्मों के लोगों की भागीदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि सनातनी हज यात्रा में भाग नहीं लेते, इसलिए हमारी सांस्कृतिक परंपराओं में बाहरी लोगों को शामिल नहीं होना चाहिए।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री वर्तमान में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के अपने पैतृक गांव गाड़ा में हैं। नवरात्रि की शुरुआत के साथ, वे मां दुर्गा की आराधना में व्यस्त हैं। रविवार को उन्होंने लवकुश नगर स्थित प्रसिद्ध माता बंबर बेनी मंदिर में दर्शन-पूजन किया। मंदिर के बाहर मीडिया ने उनसे गरबा महोत्सवों के बारे में सवाल पूछे, जो धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ सामाजिक बहस का केंद्र बने हुए हैं।
'पंडालों के मुख्य द्वार पर गोमूत्र रखा जाए'
शास्त्री ने स्पष्ट रूप से कहा, "जैसे सनातनी भाई-बहन हज यात्रा पर नहीं जाते, वैसे ही हमारी इच्छा है कि अन्य धर्मों के लोग गरबा जैसे पवित्र आयोजनों में शामिल न हों। यह हमारी सांस्कृतिक सीमाओं का सम्मान है।" उन्होंने गरबा आयोजकों को सलाह दी कि पंडालों के मुख्य द्वार पर गोमूत्र रखा जाए, ताकि परंपरागत पवित्रता बनी रहे। अपने बयान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि यह उपाय लव जिहाद जैसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है।
शास्त्री के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर दो धड़ों में बंट गया। हिंदू संगठनों के समर्थक इसे धार्मिक स्वाभिमान का प्रतीक मान रहे हैं। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने भी गरबा पंडालों में 'नो एंट्री' के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें कहा गया है कि पकड़े जाने पर 'घर वापसी' की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।