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नवंबर में सोम प्रदोष व्रत: तिथि और पूजा विधि

इस लेख में हम नवंबर 2025 में सोम प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानेंगे। प्रदोष व्रत का पालन करने से जीवन के दुख दूर होते हैं और इच्छाएं पूरी होती हैं। जानें इस विशेष दिन की पूजा कैसे की जाती है और इसके महत्व के बारे में।
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नवंबर में सोम प्रदोष व्रत: तिथि और पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत नवंबर:

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का पालन करने से जीवन के सभी दुख और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं, और इच्छाएं पूरी होती हैं। यह माना जाता है कि इस व्रत के माध्यम से शिव-पार्वती के साथ-साथ चंद्र देवता की कृपा भी प्राप्त होती है।


नवंबर में सोम प्रदोष व्रत की तिथि

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 नवंबर को सुबह 4:47 बजे से प्रारंभ होगी और अगले दिन 18 नवंबर को सुबह 7:12 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, नवंबर का दूसरा प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025, सोमवार को मनाया जाएगा।


प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त: 11:23 AM से 12:05 PM
गुलिक काल: 1:05 PM से 2:27 PM
राहुकाल: 7:39 AM से 9:00 AM
यमघण्टकाल: 10:22 AM से 11:44 AM


प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। इस दिन बेल पत्र, अक्षत, धूप और गंगा जल से शिवजी की पूजा की जाती है।


व्रत निर्जला या फलाहारी भोजन के साथ रखा जाता है। शाम की पूजा विशेष महत्व रखती है। शाम को पुनः स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। गाय के गोबर से मंडप बनाएं और पांच रंगों से रंगोली सजाएं। उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुशा के आसन पर बैठें और 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए शिवजी को जल अर्पित करें।


इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें और अंत में आरती करें। कुछ भक्त शाम की पूजा के बाद व्रत खोलते हैं, जबकि कई लोग अगले दिन उपवास तोड़ते हैं।