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नवरात्र: साल में चार बार मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व

नवरात्र पर्व का महत्व जानें, जो साल में चार बार मनाया जाता है। इस लेख में हम नवरात्र के धार्मिक पहलुओं, व्रत के महत्व और मां दुर्गा की पूजा के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे यह पर्व साधकों के जीवन में सुख और शांति लाता है।
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नवरात्र: साल में चार बार मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व

व्रत का महत्व और सुख की प्राप्ति


व्रत करने से मिलते हैं सभी सुख
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा का धरती पर आगमन होता है। इस पवित्र समय में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और व्रत का पालन किया जाता है। इससे साधक के जीवन में सुख और शांति बनी रहती है, और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।


नवरात्र का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी की उपासना और व्रत करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और दुखों का नाश होता है। क्या आप जानते हैं कि साल में नवरात्र कितनी बार मनाए जाते हैं? आइए, इस लेख में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।


रात्रि का महत्व

नव शब्द का अर्थ नई या विशेष रात्रियों से है, और रात्रि को सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों ने रात को दिन से अधिक महत्व दिया। दीवाली, शिवरात्रि, होलिका दहन और नवरात्र जैसे त्योहारों में रात के समय पूजा का विधान है।


नवरात्र का पर्व चार बार मनाया जाता है

साल में नवरात्र का पर्व केवल दो बार नहीं, बल्कि चार बार मनाया जाता है। चैत्र और आश्विन माह के अलावा, आषाढ़ और माघ में भी गुप्त नवरात्र मनाए जाते हैं। सनातन धर्म में चैत्र और शारदीय नवरात्र को विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है।


गुप्त नवरात्र और तांत्रिक साधनाएं

इस समय मंदिरों में विशेष रौनक होती है। आषाढ़ और माघ के गुप्त नवरात्र में तांत्रिक साधनाएं की जाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। चैत्र और आश्विन माह के नवरात्र शक्ति की साधना के लिए होते हैं।


मां दुर्गा के मंत्र

1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।