नवरात्रि 2023: मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व और तिथियाँ
नवरात्रि 2023 का पर्व 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी। जानें हर दिन की विशेष पूजा विधि और तिथियाँ, जो भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस पर्व का महत्व और मां दुर्गा की कृपा पाने के उपायों के बारे में विस्तार से जानें।
Sep 21, 2025, 18:20 IST
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नवरात्रि का पर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में चार बार नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है, जो शरद, चैत्र, माघ और आषाढ़ के महीनों में आता है। शरद और चैत्र की नवरात्रि मां दुर्गा के भक्तों के लिए विशेष होती है, जबकि माघ और आषाढ़ की नवरात्रि तांत्रिकों और अघोरियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहते हैं और दिन-रात उनकी उपासना करते हैं।
शारदीय नवरात्रि का समय
जयपुर जोधपुर के पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का पर्व अश्विनी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस बार तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर को होने के कारण नवरात्रि पर्व 10 दिनों तक चलेगा। नवरात्रि की तिथि का बढ़ना शुभ माना जाता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 21 सितंबर की अर्ध रात्रि 1.24 बजे से शुरू होगी, जो 22 सितंबर की ब्रह्मवेला तक रहेगी। इस दिन से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी। वर्ष में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा की जाती है। हालांकि, गुप्त नवरात्रि भी आती है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि की लोक मान्यता अधिक है। इस नवरात्रि माता भक्तों को दर्शन देने के लिए घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। शक्ति का स्वरूप माने जाने वाली मां दुर्गा को समर्पित ये 9 दिन अत्यंत कल्याणकारी होते हैं। इन दिनों में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और पूरे भारत में भक्ति और उल्लास का माहौल रहता है।
घटस्थापना तिथि: 22 सितंबर
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है, जो चंद्रमा का प्रतीक हैं। मां शैलपुत्री की पूजा से सभी बुरे प्रभाव और शगुन दूर होते हैं। इस दिन भक्तों को पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
द्वितीया तिथि: 23 सितंबर
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह का प्रतीक हैं और जो भक्त सच्चे दिल से इनकी पूजा करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
तृतीया तिथि: 24-25 सितंबर
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, जो शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से शक्ति का संचार होता है और सभी प्रकार के भय दूर होते हैं। इस दिन ग्रे रंग का कपड़ा पहनें।
चतुर्थी तिथि: 26 सितंबर
शरद नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान है, जो सूर्य देव का प्रतीक हैं। चतुर्थी तिथि पर संतरे रंग का कपड़ा पहनना शुभ माना जाता है। मां कुष्मांडा की पूजा से भविष्य में आने वाली सभी विपत्तियां दूर होती हैं।
पंचमी तिथि: 27 सितंबर
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास के अनुसार, बुध ग्रह को नियंत्रित करने वाली माता मां स्कंदमाता की पूजा शरद नवरात्रि के पांचवे दिन होती है। जो भक्त मां स्कंदमाता की पूजा करता है, उस पर मां की विशेष कृपा बरसती है। पंचमी तिथि पर सफेद रंग का कपड़ा पहनना अनुकूल माना जाता है।
षष्ठी तिथि: 28 सितंबर
नवरात्रि की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन लाल कपड़े पहनकर मां कात्यायनी की पूजा करें, जो बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। मां कात्यायनी की पूजा से हिम्मत और शक्ति में वृद्धि होती है।
सप्तमी तिथि: 29 सितंबर
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास के अनुसार, इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो शनि ग्रह का प्रतीक हैं। मां कालरात्रि की पूजा से भक्तों में वीरता का संचार होता है। सप्तमी तिथि पर रॉयल ब्लू रंग के कपड़े पहनें।
अष्टमी तिथि: 30 सितंबर
अष्टमी तिथि पर महागौरी की पूजा का विधान है। इस दिन गुलाबी रंग का कपड़ा पहनना मंगलमय माना जाता है। माता महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं और अपने भक्तों के जीवन से सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं।
नवमी तिथि: 1 अक्टूबर
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास के अनुसार, मां सिद्धिदात्री राहु ग्रह का प्रतीक हैं, जिनकी पूजा से बुद्धिमता और ज्ञान का संचार होता है। नवमी तिथि पर पर्पल रंग का कपड़ा पहनना चाहिए।
विशेष जानकारी
- डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक