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नवरात्रि का दूसरा दिन: माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा और महत्व

नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जो तपस्या और संयम का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन की पूजा विधि, पौराणिक कथा और मंत्रों के महत्व को जानें। माँ ब्रह्मचारिणी की आरती और उनके विशेष मंत्रों का जाप करने से जीवन में आत्मबल और सफलता प्राप्त होती है। जानें इस दिन की विशेषताएँ और पूजा विधि।
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नवरात्रि का दूसरा दिन: माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा और महत्व

नवरात्रि का दूसरा दिन

Navratri 2nd Day: नवरात्रि भारत के प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह पर्व साल में दो बार, चैत्र और शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन का विशेष महत्व होता है, और हर दिन माँ के एक विशेष रूप की पूजा, कथा और आरती की जाती है।


माँ ब्रह्मचारिणी का दिन

नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। यह माँ का वह स्वरूप है जो तपस्या, संयम, त्याग और धैर्य का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में आत्मबल, संयम और सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन की कथा, पूजा विधि, मंत्र और आरती के बारे में।


माँ ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने का संकल्प लिया, तब महर्षि नारद ने उन्हें कठोर तपस्या करने की सलाह दी। माँ ने इस संकल्प को पूरा करने के लिए हजारों वर्षों तक कठिन तप किया।


उन्होंने पहले केवल फल-फूल और कंद-मूल खाकर तपस्या की, और बाद में बिना अन्न-जल के वर्षों तक तप किया। उनकी इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा और विष्णु उनके सामने प्रकट हुए और उनकी तपस्या की प्रशंसा की। अंत में भगवान शिव ने भी उनकी तपस्या से खुश होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से माँ का यह स्वरूप ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।


माँ ब्रह्मचारिणी की आरती

जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।


माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥


इस मंत्र का जाप करने से साधक के भीतर आत्मबल, संयम और धैर्य बढ़ता है।


ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। यह साधक को मानसिक शांति और सफलता देता है।