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नवरात्रि के दौरान मासिक धर्म: व्रत जारी रखने के उपाय

शारदीय नवरात्रि के दौरान महिलाएं व्रत रखती हैं, लेकिन मासिक धर्म आने पर उन्हें व्रत जारी रखने में संदेह होता है। जानें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थिति में क्या करना चाहिए। पूजा से दूरी बनाकर भी आस्था और श्रद्धा को बनाए रखा जा सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे महिलाएं इस दौरान अपने व्रत को जारी रख सकती हैं और देवी दुर्गा की आराधना कर सकती हैं।
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नवरात्रि का पर्व और महिलाओं की आस्था

शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं व्रत रखती हैं और देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करती हैं। हालांकि, कई बार इन नौ दिनों के दौरान कुछ महिलाओं को मासिक धर्म का सामना करना पड़ता है, जिससे वे यह सोचने लगती हैं कि क्या उन्हें व्रत जारी रखना चाहिए या नहीं।


नवरात्रि के दौरान व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए यह एक सामान्य प्रश्न है कि पीरियड्स आने पर उन्हें व्रत तोड़ना चाहिए या नहीं। धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, इस स्थिति में व्रत को तोड़ना आवश्यक नहीं है। महिलाएं मानसिक रूप से देवी की आराधना जारी रख सकती हैं और व्रत का संकल्प पूरा कर सकती हैं।


हालांकि, शास्त्रों में यह बताया गया है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं पूजा स्थल पर नहीं जा सकतीं और पूजा सामग्री को नहीं छूना चाहिए। फिर भी, वे मानसिक रूप से मां दुर्गा का स्मरण कर सकती हैं और अपने परिवार के अन्य सदस्यों से पूजा-पाठ और आरती करवाने का आग्रह कर सकती हैं। इस तरह, धार्मिक नियमों का पालन करते हुए भी श्रद्धा और संकल्प को बनाए रखा जा सकता है।


यदि कोई महिला व्रत का संकल्प ले चुकी है, तो वह केवल शारीरिक पूजा से दूरी बनाकर भी अपना संकल्प पूरा कर सकती है। मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करने से आध्यात्मिक जुड़ाव बना रहता है और व्रत की भावना बनी रहती है। पीरियड्स समाप्त होने के बाद, महिलाएं स्नान कर सामान्य रूप से पूजा में शामिल हो सकती हैं और शेष व्रत को पूर्ववत रख सकती हैं।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी पूजा या व्रत में मन की श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण होती है। मासिक धर्म एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसे व्रत में बाधा नहीं माना जाता। मां दुर्गा भक्तों की भावनाओं को समझती हैं, इसलिए केवल बाहरी क्रियाओं पर ध्यान न देकर आंतरिक भक्ति और आस्था पर भरोसा करना अधिक आवश्यक है।