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नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन देवी भगवती के पहले स्वरूप की पूजा विधि और मंत्र का जप करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जानें कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा और क्या हैं इसके विशेष मंत्र।
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नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री की पूजा

नई दिल्ली - आज नवरात्रि के पहले दिन, देवी भगवती के नौ स्वरूपों में से पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार, देवी दुर्गा के इस स्वरूप ने देवासुर संग्राम के आरंभ में राक्षसों का नाश किया था।


नवरात्रि के पहले दिन, घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की विशेष पूजा का महत्व है।


मां शैलपुत्री की पूजा विधि

हिंदू परंपरा के अनुसार, मां शैलपुत्री की पूजा प्रात: स्नान और ध्यान के बाद घट स्थापना के साथ शुरू होती है। पूजा आरंभ करने से पहले, उनके लिए घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद, गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित किए जाते हैं। देवी को धूप, दीप, रोली, चंदन, सिंदूर, नारियल, फल, मिठाई आदि अर्पित करने के बाद विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। इसके बाद, अपनी मनोकामना मां के सामने रखें। पूजा की आरती से पहले, माता के प्रार्थना मंत्र का जाप करें और 'ॐ शं शैलपुत्रये फट्' मंत्र का कम से कम एक माला जप करें। अंत में, मां शैलपुत्री की आरती करें और प्रसाद बांटें।


मां शैलपुत्री का मंत्र

मां शैलपुत्री की साधना में उनके मंत्र का जप अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का जप लाल रंग के आसन पर बैठकर करना चाहिए। जप करते समय लाल रंग के पुष्प अपने हाथ में रखें और जप पूरा होने के बाद उसे माता को अर्पित करें।


वन्दे पुराहित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्