निर्जला एकादशी 2025: तुलसी पूजा में न करें ये 5 गलतियां

निर्जला एकादशी का महत्व
Nirjala Ekadashi Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, लेकिन निर्जला एकादशी को साल की सभी 24 सभी एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन बिना जल ग्रहण किए 24 घंटे से अधिक का उपवास रखा जाता है, जो कि शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है। इस बार निर्जला एकादशी गुरुवार 6 जून, 2025 को मनाई जाएगी। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने का विशेष अवसर है।
तुलसी माता की पूजा का महत्व
इस दिन तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। लेकिन इस पावन दिन पर कुछ विशेष सावधानियां बरतना जरूरी है, खासकर तुलसी से जुड़ी कुछ गलतियों से बचना चाहिए। आइए जानते हैं, क्या हैं ये गलतियां?
तुलसी को जल? बिल्कुल नहीं
एकादशी के दिन तुलसी को जल देना वर्जित माना गया है। माना जाता है कि इस दिन स्वयं माता लक्ष्मी भी निर्जला उपवास करती हैं। ऐसे में तुलसी को जल चढ़ाने से पूजा में दोष लग सकता है।
तुलसी दल चाहिए?
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना मना होता है। अगर आपको तुलसी दल पूजा में उपयोग करना है तो उन्हें एक दिन पहले, यानी दशमी के दिन ही तोड़कर शुद्ध स्थान पर रख लेना चाहिए।
न झटका, न नाखून
तुलसी को कभी भी झटके से या नाखून से नहीं तोड़ना चाहिए। यह अपवित्रता मानी जाती है। पहले तुलसी माता को प्रणाम करें, फिर धीरे से पत्ते तोड़ें।
गंदे हाथ? भूलकर से भी नहीं
शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। तुलसी के पौधे को गंदे या जूठे हाथों से स्पर्श करना अशुभ होता है और इससे माता लक्ष्मी की कृपा नहीं मिलती।
साफ-सफाई है जरूरी
तुलसी के आस-पास कभी भी जूते, चप्पल, कचरा या जूठे बर्तन न रखें। यह अत्यंत अशुभ माना जाता है और इससे घर की सकारात्मक ऊर्जा भी प्रभावित होती है।
अर्पित करें तुलसी की माला
इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें। माना जाता है कि इससे पाप नष्ट होते हैं, सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता साफ हो जाता है।