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निर्जला एकादशी 2025: पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

6 जून 2025 को निर्जला एकादशी का पर्व मनाया जाएगा, जो भगवान विष्णु की भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष पूजा विधि, दान और वृक्षारोपण का महत्व है। जानें इस पवित्र अवसर पर शुभ मुहूर्त और राहुकाल के बारे में, ताकि आप इस दिन का पूरा लाभ उठा सकें।
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निर्जला एकादशी 2025: पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

निर्जला एकादशी का महत्व

6 जून 2025 को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि निर्जला एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। यह दिन भगवान विष्णु की भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए समर्पित है।


इस दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु की पूजा करते हैं, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


दान और पुण्य का महत्व

इस पवित्र दिन पर दान-पुण्य, वृक्षारोपण और गौ-सेवा जैसे कार्यों का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और राहुकाल के बारे में, ताकि आप इस अवसर का पूरा लाभ उठा सकें।


पूजा विधि

निर्जला एकादशी पर भक्त प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। मंदिर जाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और श्री सूक्त का जाप करें। घर में भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण और संकीर्तन करें।


दान और सेवा

इस दिन पीपल, बेल, आम या गूलर जैसे पेड़ लगाना पापों का नाश करता है। जल से भरा घड़ा, फल और अन्न का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गौशाला में जाकर गायों को रोटी, गुड़ या चारा खिलाना भी पुण्य का कार्य है।


आशीर्वाद और शुभ मुहूर्त

बुजुर्गों और संतों का आशीर्वाद लें और मस्तक पर हल्दी या पीला चंदन का तिलक लगाएं। घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें, जो सात्विकता को बढ़ाता है।


निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त सुबह 5:23 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:48 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:52 से 12:48 बजे तक और गोधूलि मुहूर्त शाम 6:24 से 7:23 बजे तक रहेगा।


राहुकाल और यात्रा

राहुकाल सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक रहेगा, इस समय शुभ कार्यों से बचें। पश्चिम दिशा में यात्रा न करें, क्योंकि वहां दिशा शूल है। यह व्रत मन की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है, जो भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।