निर्जला एकादशी 2025: भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए दान और उपाय

निर्जला एकादशी का महत्व
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे निर्जला एकादशी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन भक्तगण बिना जल के उपवास रखते हैं, जो इसे एक कठिन तपस्या बनाता है।
दान और पुण्य का फल
इस दिन को 'भीमसेनी एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए व्रत और दान से साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।
2025 में निर्जला एकादशी
6 जून 2025 को पड़ने वाली इस पवित्र तिथि पर दान और भक्ति के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की जा सकती है। आइए जानते हैं कि इस दिन कौन-से दान और उपाय आपके लिए लाभकारी हो सकते हैं।
दान का महत्व
निर्जला एकादशी पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन जल से भरा मटका दान करना शांति और ठंडक का प्रतीक माना जाता है। गर्मी से राहत देने वाली वस्तुएं जैसे पंखा, छाता, चप्पल, लस्सी या बेल का शरबत दान करना भी शुभ है।
पुण्यकारी वस्तुएं
ब्राह्मणों, साधुओं या जरूरतमंदों को चावल, दाल, फल और वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ताम्रपात्र या गंगाजल का दान धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष फलदायी होता है। भगवान विष्णु से जुड़ी वस्तुएं जैसे तुलसी, पीला वस्त्र या पीली मिठाई अर्पित करना भी कृपा प्राप्त करने का उत्तम माध्यम है।
विशेष उपाय
इस पवित्र दिन कुछ खास उपाय जीवन की बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं। भगवान विष्णु के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या गायत्री मंत्र का जाप करें। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। किसी कुएं, तालाब या प्याऊ पर जलदान की व्यवस्था करें।
फलाहार का महत्व
जरूरतमंदों को छाया में बैठाकर फलाहार कराना भी अक्षय पुण्य दिलाता है। यह व्रत और दान श्रद्धा के साथ करने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आते हैं।