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नोएडा में अग्रवाल मूवर्स एंड पैकर्स कंपनी का डाटा चोरी, ग्राहकों को मिल रहे ठगी के कॉल

नोएडा के अग्रवाल मूवर्स एंड पैकर्स कंपनी के डाटा चोरी होने से ग्राहकों को ठगी के कॉल मिल रहे हैं। कंपनी के मालिक जसविंदर सिंह अहलूवालिया ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और आशंका है कि डाटा चोरी किसी करीबी ने की है। इस घटना से शिफ्टिंग करने वाले ग्राहकों को सावधान रहने की सलाह दी गई है।
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नोएडा में अग्रवाल मूवर्स एंड पैकर्स कंपनी का डाटा चोरी, ग्राहकों को मिल रहे ठगी के कॉल

नोएडा में जालसाजी का मामला

नोएडा समाचार: नोएडा के सेक्टर 60 में स्थित अग्रवाल मूवर्स एंड पैकर्स कंपनी के साथ एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। कंपनी का महत्वपूर्ण डाटा चोरी हो गया है, जिसके कारण उनके ग्राहकों को ठगी के कॉल आ रहे हैं। इस मामले में नोएडा के साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है और पुलिस इसकी जांच कर रही है।


कंपनी के मालिक का परिचय

दिल्ली के निवासी हैं मालिक


अग्रवाल मूवर्स एंड पैकर्स के मालिक जसविंदर सिंह अहलूवालिया दिल्ली के द्वारका क्षेत्र के निवासी हैं। उनकी कंपनी नोएडा के सेक्टर 60 में स्थित है, जहां वह ग्रुप चेयरमैन और सीईओ के रूप में कार्यरत हैं। प्रारंभिक जांच में यह संदेह जताया जा रहा है कि किसी करीबी व्यक्ति ने डाटा चोरी की है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपी की पहचान की जाएगी।


शिफ्टिंग करने वालों के लिए चेतावनी

सावधान रहें, शिफ्टिंग करने वाले


अग्रवाल मूवर्स एंड पैकर्स एक लॉजिस्टिक कंपनी है, जो ग्राहकों के घरेलू सामान जैसे टीवी, फ्रिज, बेड आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने का कार्य करती है। सामान को बड़े ट्रकों के माध्यम से ट्रांसपोर्ट किया जाता है।


ठगी के कॉल की शुरुआत

1 जून से शुरू हुई ठगी की कॉल


कंपनी के कई प्रतिष्ठित ग्राहक, जिनमें अधिकारी, रक्षा कर्मी, न्यायाधीश और अन्य प्रमुख नागरिक शामिल हैं, ने बताया कि उन्हें 1 जून से ठगी के कॉल मिल रहे हैं। इसके बाद कंपनी ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई।


पिछले मामले की जानकारी

दिल्ली में भी हुआ था डाटा चोरी


नवंबर 2021 में भी इसी कंपनी के डाटा चोरी होने का मामला सामने आया था, जिसमें दिल्ली पुलिस ने कंपनी के कुछ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में पता चला था कि वे चोरी का डाटा अन्य लॉजिस्टिक कंपनियों और साइबर ठगों को बेचते थे। इसके बदले उन्हें हर महीने 18000 रुपये मिलते थे।