परिवर्तिनी एकादशी: जानें 4 प्रभावी उपाय जो आपके रुके कामों को पूरा करेंगे

कामों में आएगी तेजी
परिवर्तिनी एकादशी के महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष में एक-एक एकादशी आती है, जो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होती है। इस वर्ष, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी 3 सितंबर को मनाई जाएगी, जिसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और दान-पुण्य से कार्यों में सफलता मिलती है।
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर योगनिद्रा में होते हैं और करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इसे पद्मा एकादशी और जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की प्रसन्नता से भक्तों की प्रार्थनाएं स्वीकार होती हैं।
व्रत का समय
वेदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 3 सितंबर को सुबह 4:54 बजे शुरू होगी और 4 सितंबर को सुबह 4:22 बजे समाप्त होगी। इस दिन व्रत रखने से जीवन की अड़चनें दूर हो सकती हैं।
उपाय
भगवान विष्णु की पूजा और तुलसी अर्चना
सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी और पीले वस्त्र अर्पित करें। तुलसी माता को जल चढ़ाकर दीपक जलाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और रुके हुए कार्यों में तेजी आती है।
दान-पुण्य का महत्व
इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अनाज का दान करें। दान से पापों का क्षय होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
विष्णु सहस्रनाम या मंत्र जाप
परिवर्तिनी एकादशी पर ॐ नमो भगवते वासुदेवायह्व मंत्र का जाप करें। इससे मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
उपवास और सात्त्विक भोजन
एकादशी पर व्रत करने से शरीर और मन शुद्ध होते हैं। यह उपाय न केवल रुके हुए कार्यों को गति देंगे बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाएंगे।