परिवर्तिनी एकादशी: भगवान विष्णु को भोग लगाने की विधि और शुभ समय

माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व
Parivartini Ekadashi Bhog, नई दिल्ली: परिवर्तिनी एकादशी का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है। इस उपवास के माध्यम से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और पापों का नाश होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, भजन, पवित्र नदियों में स्नान, दान और धार्मिक यात्राएं करने से साधक को जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव होता है।
शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 3 सितंबर को सुबह 04:53 बजे एकादशी तिथि प्रारंभ होगी, जो 4 सितंबर को सुबह 04:21 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, 3 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत मान्य होगा। शुभ मुहूर्त सुबह 7:35 से 9:10 बजे तक रहेगा। 4 सितंबर को दोपहर 1:46 से 4:07 बजे तक व्रत का पारण किया जा सकता है।
भोग लगाने की विधि
इन चीजों का भोग लगाएं:
- धार्मिक मान्यता के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दौरान पंचामृत में तुलसी का पत्ता डालना शुभ होता है।
- आप धनिया और सूखे मेवों से बनी पंजीरी का भोग भी लगा सकते हैं, जिससे धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- भगवान की विधि-विधान से पूजा करने के बाद मखाने की खीर का भोग लगाएं, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
सेवनीय वस्तुएं
यदि आप परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं, तो अन्न और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन आलू, साबूदाने की सब्जी, कुट्टू के आटे की रोटी, दूध, दही और फल का सेवन किया जा सकता है। इन चीजों को ग्रहण करने से पहले भगवान को भोग अवश्य लगाएं। ध्यान रखें कि भोजन में सेंधा नमक का उपयोग करें।
भगवान विष्णु की पूजा विधि
पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
- अपने घर और मंदिर को साफ करें।
- एक वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा देवी लक्ष्मी के साथ स्थापित करें।
- दीपक जलाएं और भगवान की मूर्ति को फूलों से सजाएं।
- गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
- तुलसी पत्र चढ़ाएं।
- भगवान का आह्वान करने के लिए विष्णु मंत्रों का जाप करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- पंचामृत और पंजीरी का भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु की आरती से पूजा समाप्त करें।
- एकादशी व्रत का पारण अगली सुबह द्वादशी तिथि को करें।
- सात्विक भोजन से व्रत खोलें।