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पापांकुशा एकादशी: जानें व्रत के नियम और पूजा विधि

पापांकुशा एकादशी का व्रत हर महीने की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस व्रत के नियम, शुभ मुहूर्त और पारण का समय। व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें और एकादशी के दिन करने योग्य कार्यों की जानकारी प्राप्त करें।
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पापांकुशा एकादशी: जानें व्रत के नियम और पूजा विधि

पापांकुशा एकादशी व्रत के नियम


Papankusha Ekadashi, नई दिल्ली: हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत का आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। आश्विन माह में पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।


शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 02 अक्टूबर को शाम 07:10 बजे से शुरू होगी और 03 अक्टूबर को शाम 06:32 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, पापांकुशा एकादशी का व्रत 03 अक्टूबर को किया जाएगा और इसका पारण 04 अक्टूबर को होगा।


पापांकुशा एकादशी 2025 व्रत पारण समय

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। पापांकुशा एकादशी का पारण 04 अक्टूबर को सुबह 06:16 से 08:37 बजे के बीच किया जा सकता है।


व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

स्कंद पुराण में एकादशी के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। व्रत के दौरान नियमों का पालन करना आवश्यक है। माना जाता है कि नियमों का उल्लंघन करने पर साधक को शुभ फल नहीं मिलते। इस दौरान किसी से वाद-विवाद न करें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।


एकादशी के दिन करने योग्य कार्य


  • सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।

  • व्रत कथा और विष्णु चालीसा का पाठ करें।

  • विशेष वस्तुओं का दान करें।

  • सात्विक भोजन का सेवन करें।

  • भगवान विष्णु को प्रिय पीले वस्त्र पहनें।


विष्णु मंत्र

1. ॐ नमो: नारायणाय॥


2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र: ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय॥


3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्॥